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मोदी राज में हुए हैं अधिक और ज़्यादा घातक माओवादी हमले?

नरेंद्र मोदी सरकार भले ही यह दावा करे कि उसने माओवादियों से सख़्ती से निपटा है और इन अतिवामपंथी विद्रोहियों का लगभग सफ़ाया हो गया है, सच यह है कि पिछले पाँच साल में माओवादी पहले से अधिक हुए हैं और उनकी तीव्रता भी अधिक रही है। यानी नरेंद्र मोदी सरकार के रहते हुए माओवादियों ने अधिक घातक हमले किए हैं, जिसमें सीआरपीएफ़ और दूसरे केंद्रीय सुरक्षा बलों को अधिक नुक़सान उठाना पड़ा है। 

साल 2014 के आम चुनाव के समय चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और ख़ास कर नरेंद्र मोदी ने यह दावा किया था कि उनकी सरकार आई तो माओवादी समस्या से बेहतर ढंग से निपटा जाएगा क्योंकि मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार के पास कोई कार्य योजना ही नहीं है। 

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हद तो तब हो गई जब नोटबंदी को उचित ठहराते हुए सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से आतंकवाद और माओवादी आन्दोलन पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगे क्योंकि उन्हें मिल रहा पैसा बंद हो जाएगा। 

खोखला साबित हुआ दावा

शनिवार यानी 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ ने सरकार के दावे को एक बार फिर ग़लत साबित कर दिया है। इस हमले में सुरक्षा बलों के 22 जवान मारे गए हैं और दर्जन भर से अधिक घायल हो गए हैं। 

हालांकि सुरक्षा बलों का दावा है कि बड़ी संख्या में माओवादी भी मारे गए हैं, उनकी संख्या पक्के तौर पर अभ नहीं कही जा सकती है, लेकिन यह सवाल तो उठता है कि आखिर कहाँ चूक हुई। इसके साथ ही यह सरकार के दावे की पोल भी खोल कर रख देता है। v

नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद हुए कुछ बड़े माओवादी हमले : 
  • मई, 2014: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सीआरपीएफ़ के 7 जवान शहीद हो गए जब माओवादियों ने पुलिस की एक गाड़ी को बम से उड़ा दिया। 
  • मई, 2014: छत्तीसगढ़ के सुकमा घाटी में सीआरपीएफ़ के 15 जवान शहीद हो गए, एक नागरिक भी फ़ायरिंग की चपेट में आ गया। जीरम घाटी में घात लगाए सौ से अधिक नक्सलियों ने सीआरपीएफ़ जवानों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाईं।
  • 10 अप्रैल, 2015: छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा में माओवादियों ने सुरक्षा बलों की बारूदी सुरंग हटाने वाली गाड़ी को ही ध्वस्त कर दिया था। इस हमले में 72 घंटे में हुए तीन हमलों में 7 जवान शहीद हो गए थे।
  • 26 अगस्त, 2015 :ओड़ीशा के मलकानगिरी में माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में बीएसएफ़ के तीन जवान शहीद हो गए और छह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए थे। 
  • 11 मार्च, 2017 : छत्तीसगढ़ में माओवादियों के हमले में 11 कमान्डो, 3 पुलिस अफ़सर शहीद हो गए।
  • 6 दिसंबर, 2016 : छत्तीसगढ़ के बस्तर में तीन विस्फोटक धमाके, सीआरपीएफ़ का एक ट्रूपर मारा गया। 
  • 10 जनवरी, 2017 : छत्तीसगढ़ में माओवादियों और सुरक्षा बलों में गोलीबारी, एक जवान शहीद हो गया, एक महिला समेत चार माओवादी भी इसमें मारे गए।
  • 1 फ़रवरी, 2017: ओड़ीशा में भुवनेश्वर के पास विस्फोट में 8 पुलिस वाले शहीद हो गए।
  • 8 मार्च, 2017 : बिहार के गया ज़िले में बंसकटवा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक ज़ोनल कमांडर समेत चार माओवादी शहीद हो गए।
  • 22 मार्च, 2017: छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 6 माओवादी मारे गए।
  • 24 अप्रैल, 2017 : छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादियों ने हमला कर सीआरपीएफ़ के 25 जवानों को मार डाला था।
  • 24 जनवरी, 2018 : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में चार पुलिस वाले शहीद हो गए।
  • 18 फ़रवरी, 2018 : छत्तीसगढ़ में माओवादियों के साथ मुठभेड़ में दो पुलिस जवान शहीद हो गए।
  • 25 फरवरी, 2018: छत्तीसगढ़ में माओवादियों के साथ मुठभेड़ में दो पुलिस जवान शहीद हो गए।
  • 1 मार्च, 2018 : माओवादियों के साथ मुठभेड़ में 12 माओवादी मारे गए।
  • 26 मार्च, 2019: ओड़ीशा के नारायरणपटणा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 4 नक्सली मारे गए।
  • 22-24 मार्च, 2018: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 37 माओवादी मारे गए।
  • 20 मई, 2018: माओवादियों के साथ मुठभेड़ में सीआरपीएफ़ के 6 जवान शहीद हो गए।
  • 9 अप्रैल, 2019 : छत्तीसगढ़ में हुए माओवादी धमाके में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी और उनके ड्राइवर मारे गए। इसके अलावा सीआरपीएफ़ के 3 जवान भी शहीद हो गए।
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क़मर वहीद नक़वी

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