दिल्ली में हुए दंगों के दौरान इंटेलीजेंस ब्यूरो के नौजवान अफ़सर अंकित शर्मा की हत्या के मामले में गिरफ़्तार आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के बारे में नई जानकारी सामने आई है। एनडीटीवी को दंगों वाले दो दिन यानी 24 और 25 फ़रवरी को ताहिर हुसैन के द्वारा दिल्ली पुलिस को की गई पांच फ़ोन कॉल के बारे में जानकारी मिली है। ताहिर ने भी कहा है कि दंगों वाले दिन उन्होंने पुलिस को कई बार कॉल करके इसकी सूचना दी थी।
'छत पर चढ़ गये हैं लोग'
पहली फ़ोन कॉल 24 फ़रवरी को दिन में 3.11 बजे की गयी है। ताहिर हुसैन अपना परिचय देते हुए पुलिस से कहते हैं, ‘यहां खजूरी खास, चांदबाग पुलिया के पास से, यहां सैकड़ों लोग गेट तोड़कर मेरे घर के अंदर घुस गये हैं। यहां तीन-चार घंटे से लगातार पथराव चल रहा है।’ पुलिस कंट्रोल रूम से ताहिर को जवाब मिलता है, ‘यहां पीसीआर और गाड़ी भी भेजी हुई है।’ ताहिर कहते हैं, ‘यहां कोई नहीं पहुंचा है और मेरे घर का गेट तोड़कर बहुत सारे दंगाई अंदर घुस गये हैं, जो ऊपर छत पर चढ़कर पथराव कर रहे हैं। किसी को फटाफट भेजो, 5 नंबर गली के सामने।’ पुलिस कंट्रोल रूम से जवाब मिलता है कि पुलिस को भेजा जा रहा है।
इसके बाद 3.54 मिनट पर ताहिर पुलिस को दूसरी फ़ोन कॉल करते हैं। इसमें वह फिर से अपना परिचय देते हैं और कहते हैं, ‘मैं कई बार फ़ोन कर चुका हूं कि मोहन नगर-करावल नगर रोड पर खूजरी खास के पास चांदबाग की पुलिया है, यहां पिछले चार-पांच घंटे से दंगा चल रहा है और मेरे घर में...।’ इस पर पुलिस की ओर से जवाब आता है कि ठीक है हम कुछ करते हैं। ताहिर फिर से कहते हैं कि पुलिस उनकी मदद करे। ताहिर बहुत परेशान दिखते हैं।
'कई घंटों से हो रही आगजनी'
इसके बाद ताहिर पुलिस को अगली फ़ोन कॉल उसी दिन शाम को 5.10 मिनट पर करते हैं। इसमें वह फिर से अपना परिचय देते हैं और कहते हैं, ‘कई घंटे हो गये यहां आगजनी होते हुए, बहुत सारे लोग मेरे घर का मेन गेट तोड़कर अंदर घुसकर छत पर चढ़ गये हैं, मैं कई मर्तबा फ़ोन कर चुका हूं। कोई फ़ोर्स इधर नहीं पहुंची, कोई कंट्रोल नहीं हो रहा है।’ पुलिस की ओर से जवाब मिलता है, ‘मैं समझ रहा हूं सर, दो बार पुलिस भेजी है, मैं लोकल पुलिस को तुरंत आपका मैसेज भेज रहा हूं। पहले भी भेजी थी, फिर पुलिस भेज रहा हूं।’
ताहिर का कहना था कि दंगाइयों ने उनके घर को घेर लिया था। इसके बाद 24 फ़रवरी की रात को पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार को वहां से निकाल लिया था। ताहिर ने कहा था कि इसके बाद उनके घर की सुरक्षा पुलिसकर्मियों के हाथ में थी और उन्होंने पुलिस से कहा था कि दंगाई उनके घर का ग़लत इस्तेमाल कर सकते हैं। ताहिर ने कहा था कि वह अंकित की हत्या के लिये जिम्मेदार नहीं हैं और पूरी तरह निर्दोष हैं।
'प्लीज, मदद कीजिये सर'
अगले दिन 25 फ़रवरी को शाम 4 बजे की गई कॉल में ताहिर दिल्ली पुलिस को अपना परिचय देते हुए कहते हैं, ‘रात को आप लोग मेरे मकान पर आये थे और आपने सेफ़्टी दी थी। सर, मेरे घर से फ़ोर्स हट गयी है और उसके बाद दुबारा पत्थरबाज़ी शुरू हो गई है। हालात यहां काफी बिगड़ जायेंगे, प्लीज मदद कीजिये सर।’ दूसरी ओर से दिल्ली पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार कहते हैं कि वह फ़ोर्स भेज रहे हैं।
पुलिस बोली - एसएचओ साहब मौक़े पर हैं
इसके थोड़ी देर बाद ताहिर पांचवीं फ़ोन क़ॉल 4.14 मिनट पर करते हैं। ताहिर दयालपुर पुलिस स्टेशन के हेड कांस्टेबल के.पी. सिंह से कहते हैं, ‘भाई साहब वह फ़ोर्स वहां से चली गयी, मैं आपको तब भी फ़ोन कर रहा था, उसके बाद दुबारा वहां हंगामा हो गया, पत्थरबाज़ी हो रही है, वही स्थिति हो गई है कल वाली। फ़ोर्स भेज दीजिये जल्दी।’ इस पर हेड कांस्टेबल कहते हैं, ‘फ़ोर्स गयी है और एसएचओ मौक़े पर हैं।’ इस पर ताहिर कहते हैं कि एसएचओ मौक़े पर हैं तो क्यों इतना हंगामा हो रहा है। मैं तो हूं नहीं वहां पर।’ इस पर हेड कांस्टेबल कहते हैं, ‘कोई रोके से रूक थोड़े ना रहा है, ताहिर भाई होपलैस मत हो, सब ठीक होगा, कोई चिंता का विषय नहीं है। वहां फ़ोर्स बहुत है, एसएचओ साहब मौक़े पर हैं।’
ताहिर की इन फ़ोन कॉल पर दिल्ली पुलिस के पीआरओ मंदीप सिंह रंधावा ने कहा है कि उनके पास इन फ़ोन कॉल के बारे में और कुछ अन्य फ़ोन क़ॉल के बारे में जानकारी है और वे इनकी जांच कर रहे हैं।
‘किसी भी जांच के लिये तैयार’
इन फ़ोन कॉल से एक बात पूरी तरह साफ़ हो जाती है कि ताहिर का यह कहना कि उन्होंने दंगों वाले दिन पुलिस को कई बार फ़ोन किया था, यह बात सही है। ताहिर ने सरेंडर करने से पहले न्यूज़ चैनल आज तक को दिये इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है और वह नार्को टेस्ट सहित किसी भी जांच का सामना करने के लिये तैयार हैं। ताहिर ने कहा था कि उनके ऑफ़िस के स्टाफ़ में आधे हिंदू हैं और वे लोग 15 साल से उनके साथ काम कर रहे हैं।
पुलिस के बयान अलग-अलग क्यों?
ताहिर फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। पुलिस ताहिर पर हत्या का मुक़दमा तो दर्ज कर चुकी है लेकिन ताहिर को लेकर उसके बयानों में विरोधाभास है। ऐसे में वह कैसे अदालत में अपनी बात को पुख्ता ढंग से रख पायेगी, यह बड़ा सवाल है। ताहिर ने कहा था कि पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार को 24 फ़रवरी की रात को उनके घर से निकाल लिया था और दिल्ली पुलिस के एसीपी ए.के.सिंगला ने ताहिर के बयान का समर्थन किया था। सिंगला ने एक न्यूज़ चैनल से कहा था कि नेहरू विहार के पार्षद ताहिर हुसैन ख़ुद भी हिंसा के शिकार थे और 24 फ़रवरी की रात को मुसीबत में होने की कॉल आने पर पुलिस उनके मकान पर गई थी और उन्हें उनके घर से निकाला था।
लेकिन दिल्ली पुलिस की ओर से सिंगला के दावे को ग़लत बताया गया और कहा गया कि जब पुलिस ताहिर के घर पहुंची तो भीड़ के द्वारा ताहिर को घेरे जाने की सूचना ग़लत निकली थी और उस दिन ताहिर हुसैन अपने घर में ही मौजूद रहे। इसके बाद पुलिस ने कहा कि 26 फ़रवरी को अंकित का शव मिलने के बाद ताहिर के घर की तलाशी ली गई और तब ताहिर घर से फरार थे। ऐसे में पुलिस का कौन सा बयान सही है, यह पता कर पाना मुश्किल है। ताहिर के वकील की ओर से पुलिस के बयानों में विरोधाभास और उनके द्वारा पुलिस को किये गये फ़ोन की रिकॉर्डिंग को अदालत के सामने रखा जा सकता है और ऐसे में पुलिस के लिये कोई जवाब दे पाना बहुत मुश्किल होगा।
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