activists statement on umar khalid arrest, questions delhi police investigation into delhi riots cases

एक्टिविस्ट बोले- उमर खालिद की गिरफ़्तारी विरोध की आवाज़ को दबाने की कोशिश

लेखिका व योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, जेएनयू छात्रसंघ पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कई बुद्धिजीवियों ने दिल्ली हिंसा में पुलिस की जाँच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने जेनएयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की गिरफ़्तारी का विरोध किया और कहा कि विरोध की आवाज़ को आपराधिक बनाया जा रहा है और इसे दबाया जा रहा है। उन्होंने बयान में साफ़ तौर पर कहा है कि दिल्ली पुलिस ने फ़रवरी की दिल्ली हिंसा की जाँच को नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए विरोधी प्रदर्शनों की जाँच में बदल दिया है।

इससे पहले भी लेखन, कला, शिक्षा और राजनीति से जुड़ी 36 हस्तियों ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की जाँच पर सवाल उठाए थे। 

ताज़ा ख़बरें

अब प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में दिल्ली हिंसा जाँच को लेकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सैयदा हमीद, प्रशांत भूषण, कन्हैया कुमार के अलावा सीपीआई एमएल के पोलितब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वरिष्ठ पत्रकार पामेला फिलिप और डूटा की पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण शामिल थीं। उन्होंने एक साझा बयान जारी किया है।

बयान में कहा गया है, 'दिल्ली हिंसा में 53 लोगों की जान गई, संपत्ति व आजीविका और पूजा स्थलों पर हमले हुए। फ़रवरी में भी हम पुलिस की उस भूमिका पर भौंचक्का थे, जो न केवल पक्षपातपूर्ण थी बल्कि अमानवीय भी थी, क्योंकि उन्होंने एम्बुलेंस को प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोक दिया था; ऐसा तब तक था जब तक कि जागरूक नागरिकों ने पुलिस को उसका कर्तव्य याद दिलाने के लिए आधी रात को उच्च न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक नहीं दी थी।'

बयान में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में हमने सामूहिक रूप से पुलिस द्वारा कर्तव्य परायणता देखी है। बयान में उन्होंने कहा है कि हम सिर्फ़ यही चाहते थे कि दिल्ली हिंसा की निष्पक्ष जाँच हो, लेकिन दिल्ली पुलिस उन सभी आवाज़ों को निशाना बनाना चाहती है और उन्हें गिरफ़्तार करना चाहती है जिन्होंने असंवैधानिक और अनैतिक नागरिक संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत दिखाई।

बयान में कहा गया है कि पूरे देश भर में ऐसा जीवंत और रचनात्मक आंदोलना आज़ादी के बाद नहीं हुआ था जिसमें काफ़ी विविधता थी और एकजुटता भी। यह शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण प्रदर्शन था।

बयान में कहा गया है, 'वास्तविक अपराधी - जिसने दिन दहाड़े प्रदर्शनों को जबर्दस्ती हटाने की धमकी दी थी, या जो लोग विरोध स्थलों पर बंदूकों के साथ आए थे, या जो लोग उत्तेजक और हिंसक नारे लगा रहे थे - आज़ाद घूम रहे हैं।'

बयान में कहा गया है, 'हम इस आपत्तिजनक जाँच को तुरंत बंद करने की माँग करते हैं जो पूर्वाग्रह और दुर्भावनापूर्ण इरादे से की जा रही है। हम माँग करते हैं कि यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए; और वास्तविक अपराधियों को दंडित करने और दिल्ली हिंसा के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन किया जाए।'

ऐसा ही बयान पहले भी इतिहासकार रामचंद्र गुहा, लेखक अरुंधती रॉय, फ़िल्मकार सईद मिर्ज़ा सहित लेखन, कला, शिक्षा और राजनीति से जुड़ी 36 हस्तियों ने जारी किया था। उन्होंने जेनएयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की गिरफ़्तारी का विरोध किया। इस संबंध में बयान जारी कर उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें तुरंत रिहा करे और 'विचहंट' बंद करे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली दंगों की साज़िश रचने के आरोप में उमर खालिद को गिरफ्तार किया है।

दिल्ली से और ख़बरें

उस बयान में कहा गया था, 'गहरी पीड़ा के साथ हमें यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि यह जाँच राष्ट्रीय राजधानी में फ़रवरी 2020 में हुई हिंसा के बारे में नहीं है, बल्कि असंवैधानिक सीएए के ख़िलाफ़ देश भर में पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध के बारे में है।'

बयान जारी करने वालों में फ़िल्मकार सईद मिर्ज़ा, लेखिका अरुंधती रॉय, रामचंद्र गुहा के अलावा पूर्व योजना आयोग से जुड़ी सैयदा हमीद, कलाकार टीएम कृष्णा, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ, सीपीआई (एम) की बृंदा करात, पत्रकार आकार पटेल, लेखक हर्षमंदर, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद सहित 36 लोगों ने इस बयान पर हस्ताक्षर किये हैं।

दिल्ली पुलिस ने ट्रम्प के आने के पहले के उमर खालिद के भाषण और दिल्ली दंगे के आरोपियों के साथ हुई कथित बातचीत के कॉल रिकॉर्ड, आरोपियों के साथ मीटिंग और आरोपियों के बयानों में साज़िशकर्ता के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें