loader

दिल्ली में पुराने मंदिर की जगह बनेगा रविदास मंदिर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए ज़मीन देने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह ज़मीन उसी जगह दी जाएगी जहां यह मंदिर था। अदालत ने केंद्र सरकार से मंदिर के निर्माण के लिए 6 हफ़्ते के भीतर कमेटी का गठन करने के लिए कहा है। कोर्ट ने मंदिर के लिये निर्धारित ज़मीन और इसके आस-पास किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि को भी रोक दिया है। कुछ दिन पहले संत रविदास मंदिर को तोड़े जाने के कारण ख़ासा बवाल हुआ था और भीम आर्मी और अन्य दलित संगठनों के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे थे। दलितों ने मंदिर को वहीं पर बनाये जाने की माँग की थी। इस दौरान प्रदर्शन में हिंसा भी हुई थी। 

रविदास मंदिर को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के ही निर्देश पर गिरा दिया था। इसके बाद दिल्ली, पंजाब व हरियाणा में प्रदर्शन हुए थे। शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त को अधिकारियों को यह निर्देश दिये थे कि इस इलाक़े में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगड़नी चाहिए। 

पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत में केंद्र की ओर से पेश होकर मंदिर के लिए 200 स्क्वायर मीटर ज़मीन देने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन बाद में कुछ कारणों से इसे 400 मीटर कर दिया गया। 

ताज़ा ख़बरें

सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए समझौते के मसौदे के अनुसार, पूजा के लिए बनाये गये क्षेत्र की तारों से बाउंड्री बनाई जाएगी और यहां जाने के लिए एक गेट भी होगा। मसौदे में कहा गया है कि बाउंड्री के बाहर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने दिया जायेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार संत रविदास के तालाब और चार समाधियों को फिर से बनायेगी लेकिन समाधियों के ऊपर किसी भी तरह का निर्माण करने की अनुमति नहीं होगी। 

दिल्ली से और ख़बरें
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के गिराये जाने को राजनीतिक मुद्दा बनाये जाने पर चेतावनी दी थी और कहा था कि इस मामले पर भड़काऊ प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ वह अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करेगी। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद और उनके साथियों ने जब इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था तो यह हिंसक हो गया था। पुलिस ने इसे लेकर आज़ाद और 90 अन्य लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें