मौत छुपाने का खेल?
इस तरह का आरोप पश्चिम बंगाल और बिहार की सरकारों पर लग चुका है। अब आरोप दिल्ली सरकार पर लग रहा है। इसकी वजह यह है कि दिल्ली सरकार के दिए आँकड़े और अस्पतालों से मिले आँकड़े में बहुत बड़ा अंतर है।
क्या कहना है सरकार का?
दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'डॉक्टरों की एक ऑडिट कमेटी है जो कोरोना अस्पतालों में होने वाली हर मौत की जाँच करती है और यह सुनिश्चित करती है कि उसकी रिपोर्ट हो।' उन्होंने दावा कि जनता के सामने हर तथ्य को रखा जाता है, पूरी पारदर्शिता बरती जाती है और कुछ भी छिपाया नहीं जाता है।राम मनोहर लोहिया अस्पताल का कहना है कि कोरोना से उसके यहाँ 52 लोगों की मृत्यु हुई, पर दिल्ली सरकार इसे 26 मान रही है, यानी आधी।
क्या कहना है कि अस्पतालों का?
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट मीनाक्षी भारद्वाज के अनुसार, हर तरह का आँकड़ा दिल्ली सरकार को नियमित तौर पर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की तादाद में भी भारी अंतर है।
लोक नायक अस्पताल में कोरोना से 47 लोगों की मौत हो चुकी है, पर दिल्ली सरकार के बुलेटिन में 5 लोगों के मरने की बात कही गई है।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज
दिल्ली सरकार के मुताबिक़, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई है, पर अस्पताल के मेडिकल डाइरेक्टर डॉक्टर एन. एन. माथुर तीन लोगों के मरने की बात स्वीकार करते हैं।हाल बंगाल जैसा?
‘बंगाली फ़ीजिशीयिन्स’ नामक स्वास्थ्य कर्मियों के संगठन ने कहा है कि कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में डेथ सर्टिफ़िकेट राज्य सरकार द्वारा नियोजित एक कमेटी ही देती है।
केंद्रीय टीम ने पूछा है कि क्या इस कमेटी को इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च से मान्यता मिली हुई है। इसके साथ ही यह भी पूछा है क्या दूसरे रोगों से होने वाली मौतों पर भी डेथ सर्टिफ़िकेट यह कमेटी ही देती है।
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