loader

मीडिया को दिल्ली हाईकोर्ट का संयम बरतने का निर्देश; क्या सुधरेंगे बेलगाम टीवी चैनल?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘यूपीएससी जिहाद’ जैसे कार्यक्रम को विषैला क़रार दिए जाने के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट ने फिर एक बार टीवी न्यूज़ चैनलों को संयम बरतने की हिदायत दी है। अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि मीडिया चैनल लगातार रिया चक्रवर्ती के मामले में ड्रग्स रैकेट में शामिल होने की ख़बरें चला रहे हैं जो कि सरासर झूठ और बिना तथ्य के हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में मीडिया ख़ासकर टीवी चैनलों को ख़बर चलाते समय संयम बरतने का निर्देश जारी किया है। 

इससे पहले सुदर्शन टीवी के ‘यूपीएससी जिहाद’ नाम के कार्यक्रम पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि मीडिया को बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता और पाँच सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए जो नियामक के तौर पर मीडिया कंटेंट पर नज़र रख सके।

ताज़ा ख़बरें

छवि ख़राब कर रहा है मीडिया

अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने अपनी छवि ख़राब किए जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है, ‘सुशांत सिंह मौत के मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लगातार ड्रग्स एंगल की जाँच कर रहा है, जाँच के दौरान ही रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया। मीडिया लगातार यह दावा कर रहा है कि रिया ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को ड्रग्स लेने और खरीदने के मामले में कई हस्तियों का नाम लिया है जिनमें रकुल प्रीत सिंह का नाम भी सामने आया है, यह ख़बर पूरी तरह से बेबुनियाद और मनगढ़त है जबकि ख़ुद रिया चक्रवर्ती ने अपना बयान बदल लिया है’।

रकुल प्रीत सिंह ने कोर्ट में कहा, ‘मीडिया लगातार उनकी छवि ख़राब करने का प्रयास कर रहा है, उन पर स्टोरीज़ चलाई जा रही है… उनकी पिक्चर को उन स्टोरीज में दिखाया जा रहा है और उनके किसी भी तरह के ड्रग्स गैंग का सदस्य बताया जा रहा है जो कि पूरी तरह से झूठ है’।

दिल्ली से और ख़बरें

कहीं तो रोक होनी चाहिए: कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नवीन चावला ने सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार से कहा, ‘कहीं तो कुछ रोक होनी चाहिए, बिना जाँच अधिकारी के कुछ बयान जारी किए मीडिया कैसे ख़बर को चला सकता है, किसी की प्रतिष्ठा को ख़राब किया जा रहा है।’

हालाँकि कोर्ट ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट मीडिया के इस चलन को लेकर पहले से ही सुनवाई कर रहा है, जब मीडिया ही ख़ुद नियंत्रण न करे तो कोर्ट क्या कर सकता है?’

दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया चैनलों को ख़बर चलाने में संयम बरतने का निर्देश जारी करते हुए प्रोग्राम कोड और सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स को लागू करने को भी कहा। दिल्ली हाईकोर्ट 15 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा।
'बेलगाम' टीवी चैनलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के क्या हैं मायने, देखिए आशुतोष की बात

'यूपीएससी जिहाद' कार्यक्रम पर रोक 

इससे पहले सुदर्शन न्यूज़ चैनल के यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बेलगाम मीडिया चैनलों पर नियंत्रण ज़रूरी है, 5 सदस्यीय स्वतंत्र नियामक संस्था बनाने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा था कि बोलने की आज़ादी असीमित नहीं है, मीडिया को भी बोलने के लिए पूरी तरह से आज़ाद नहीं छोड़ा जा सकता।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विप्लव अवस्थी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें