गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए प्रदर्शन करने वाले किसानों की रिहाई वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका में कहा गया था कि इन किसानों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि गिरफ़्तार किए गए लोगों को बिना एफ़आईआर और जाँच की प्रक्रिया से गुज़रे रिहा नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर की जाँच जितनी जल्द हो सके उतनी जल्द करने को कहा। हालाँकि कोर्ट ने एक निश्चित समय-सीमा तय नहीं की है।
दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में हालात इतने बिगड़ गए थे कि हिंसा तक हुई थी। इसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गई थी। गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं। प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा भी फहरा दिया था। पुलिस की बैरिकेडिंग पार करते हुए किसान यहाँ तक पहुँचे थे। किसानों की ट्रैक्टर रैली को जिस रूट की मंजूरी दी गई थी उसमें लाल क़िले का रूट शामिल नहीं था। लाल क़िले के अलावा आईटीओ पर भी ज़्यादा हिंसा की ख़बरें आई थीं।
याचिकाकर्ता हरमन प्रीत सिंह की तरफ़ से पेश वकील आशिमा मंडला ने पहले कोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस ने सोमवार को एक बयान जारी किया है कि 122 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और 44 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
याचिका में हरमन प्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान गणतंत्र दिवस पर कथित हिंसा के संबंध में 200 से अधिक व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया।
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की बेंच ने कहा, 'गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को एफ़आईआर और जाँच की प्रक्रिया से गुज़रे बिना रिहा नहीं किया जा सकता है। यह एक पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन प्रतीत होता है।' अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस उन लोगों के संबंध में क़ानून के अनुसार काम करेगी, जिन्हें उनके द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
हालाँकि अदालत ने यह आदेश ज़रूर दिया कि 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार लोगों को निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए।
अदालत ने कहा कि यह याचिकाकर्ता का मामला नहीं है और वह मामले में नोटिस भी जारी नहीं करेगी। 26 जनवरी के बाद कथित रूप से लापता हुए लोगों के बारे में अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने किसी भी रिश्तेदार से संपर्क नहीं किया है, यह कहते हुए कि हो सकता है कि वे 'अपने निजी काम के लिए' बाहर गए हों, अदालत ने कहा कि रिट याचिका पर विचार करने का हमारे पास कोई कारण नहीं है।
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