कोरोना जाँच रिपोर्ट के देर से आने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख़्त नाराज़गी जताई है और कहा है कि दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित कराए कि ये रिपोर्टें 24 से 48 घंटे के अंदर मिल जाएँ। इसके साथ ही कोर्ट ने कोरोना जाँच से जुड़े आँकड़े लगातार वेबसाइट पर अपडेट करते रहने के भी आदेश दिये हैं। यह काफ़ी अहम इसलिए है कि कोरोना की जाँच रिपोर्ट जितनी जल्दी आए उतनी ही ज़्यादा इस वायरस को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। इसी कारण दुनिया भर में जल्दी से जल्दी जाँच रिपोर्ट देने की बात पर ज़्यादा ज़ोर दिया जा रहा है।
कोर्ट का यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया है। राकेश मल्होत्रा ने यह याचिका लगाई थी। 'लाइव लॉ' के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि कोरोना टेस्ट की सही संख्या, पॉजिटिव व नेगेटिव केसों की संख्या और जिनका परिणाम नहीं आया है उनकी संख्या भी वेबसाइट पर लगातार अपडेट होती रहे।
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली और केंद्र सरकार, दोनों ने ही जाँच रिपोर्ट में तेज़ी लाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाए हैं जिससे कि संदिग्ध मरीज़ को 48 घंटे या इससे पहले के सही समय पर पता लग जाए कि उसे संक्रमण है या नहीं। याचिका में यह भी कहा गया था कि जाँच रिपोर्ट के आने में देरी होने पर संदिग्ध कोरोना मरीज़ के संपर्क में आए लोगों को ढ़ूंढने की प्रक्रिया और धीमी हो जाती है और जब तक रिपोर्ट आती है तब तक शहर में कई लोगों में इस वायरस के फैलने का ख़तरा रहता है।
याचिकाकर्ता की ओर से दिल्ली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के ट्विटर हैंडल का हवाला देकर कहा गया था, '28 अप्रैल को 3295 जाँच रिपोर्ट लंबित थी जो 30 अप्रैल को बढ़कर 3793 हो गई। इसके बाद से उस ट्विटर एकाउंट पर डाटा अपडेट नहीं हो रहा है...।'
याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि दिल्ली सरकार अब एक से दो दिन में जाँच रिपोर्ट पा लेगी। इसने कोर्ट को यह भी बताया, 'प्रतिष्ठित लैबों में 3 मई तक 3790 जाँच रिपोर्ट लंबित थी और आज या अधिकतम कल तक सभी जाँच रिपोर्ट आ जाएगी। 2 मई तक 9226 टेस्ट रिपोर्ट लंबित थीं लेकिन यह संख्या 3 मई तक काफ़ी तेज़ी से घटकर 3790 तक रह गई है। यह दिखाता है कि राज्य सरकार रिपोर्ट के देरी से मिलने के प्रति कितनी सजग है और बिना समय गँवाए उस स्थिति से निपट रही है।'
दिल्ली सरकार की इस रिपोर्ट पर कोर्ट ने संतोष जताया और कहा कि वह जाँच रिपोर्ट में और तेज़ी लाए।
बता दें कि दुनिया भर में इस बात पर ज़ोर है कि कोरोना की जाँच रिपोर्ट जितनी जल्दी आएगी यह उतना ही बेतर होगा। दक्षिण कोरिया में तो इसको काफ़ी प्रभावी तरीक़े से लागू किया गया और वहाँ कोरोना वायरस नियंत्रण में भी है।
दक्षिण कोरिया ने हॉस्पिटलों में भीड़ नहीं बढ़े इसके लिए अतिरिक्त 600 जाँच केंद्र खोल दिए। सड़कों के किनारे भी। जहाँ कार चला रहे व्यक्ति को बिना कार से उतरे ही 10 मिनट में जाँच हो जाती है और घंटे भर में ही उसका परिणाम भी आ जाता है। वेबसाइट और मोबाइल फ़ोन ऐप पर इसकी जानकारी हर घंटे और कभी-कभी हर मिनट अपडेट की जाती है। इसमें यह जानकारी दी जाती है कि संक्रमित व्यक्ति किस समय कहाँ-कहाँ गया, कौन-सी बस या गाड़ी पकड़ी, और यहाँ तक कि वह व्यक्ति मास्क पहने हुए था या नहीं। जिन लोगों को लगता है कि वे उस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए होंगे वे अपनी जाँच करा लेते हैं।
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