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दिल्ली: पाबंदी में भी दीवाली पर पटाखे जले, ज़हरीली हुई हवा

दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों में दीवाली के दिन यानी शनिवार को प्रदूषण 'ख़तरनाक' स्तर तक पहुँच गया और रविवार सुबह से ही घना कोहरा छाया रहा। पटाखों पर प्रतिबंध लगे होने के बावजूद कई क्षेत्रों में इसके छोड़े जाने की गूँज सुनाई दी। एक रिपोर्ट के अनुसार पटाखे जलाने के लिए कम से कम 32 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है और 21 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाए जाने से पहले से ही प्रदूषण तो था ही। पटाखे जलाने का असर यह हुआ कि हवा काफ़ी ज़्यादा ख़राब हो गई। 

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमिटी के अनुसार, दिल्ली में दीवाली के एक दिन बाद रविवार को हवा की गुणवत्ता यानी एक्यूआई आईटीओ पर 461 और आनंद विहार में 461 दर्ज की गई। इससे पहले दीवाली के दिन शहर में शनिवार को एक्यूआई 414 दर्ज की गई थी जो कि गंभीर स्थिति को दर्शाती है। 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है।

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एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए ये बेहद ही ख़तरनाक होते हैं। कई बार तो ये कण जानलेवा साबित होते हैं। 

रिपोर्टों में कहा गया है कि दिल्ली के लगभग सभी इलाक़ों में एक्यूआई 400 से ज़्यादा रही। कई क्षेत्रों में तो यह 500 के क़रीब तक पहुँच गई। पिछले साल दिल्ली में दीवाली पर 24 घंटे में औसत रूप से एक्यूआई 337 दर्ज की गई थी। और इसके अगले दो दिन तक 368 और 400 दर्ज की गई थी। 
हवा की गुणवत्ता ख़राब होने के कारण ही कई क्षेत्रों में लोगों ने आँखों में जलन होने, गले में दर्द, साँस लेने में तकलीफ की शिकायतें कीं।

'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड जैसे प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक होते हैं। ये नाक या गले से फेफड़ों में जा सकते हैं और इससे अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं कि इससे दमा, कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी घातक बीमारियाँ हो सकती हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट भी कहती है कि वायु प्रदूषण से कैंसर, अस्थमा, फेफड़े का इन्फ़ेक्शन, न्यूमोनिया और साँस से जुड़ी कई गंभीर इंफ़ेक्शन हो सकते हैं।

दीवाली पर प्रदूषण की ऐसी ख़राब स्थिति तब रही जब इसको रोकने के लिए सरकार ने कई क़दम उठाए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली एनसीआर में दीवाली पर पटाखे पर प्रतिबंध लगा दिए थे और इसके साथ ही कई राज्यों में भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाए गए। इस फ़ैसले के पीछे तर्क दिया गया कि कई शहरों में प्रदूषण इतना ज़्यादा हो गया है कि साँस लेना दूभर है और प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण के भी तेज़ी से फैलने के आसार हैं।
delhi ncr air quality reached sever level on deepawali - Satya Hindi

दिल्ली में कोरोना संक्रमण फ़िलहाल काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। दिल्ली में आईसीयू बेड कम पड़ने की समस्या के समाधान के लिए हाई कोर्ट को एक अहम फ़ैसला देना पड़ा है। अदालत ने कहा है कि 33 निजी अस्पतालों में 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीज़ों के लिए आरक्षित रखे जा सकते हैं। बता दें कि दिल्ली में हर रोज़ क़रीब 8000 कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं और ऐसी रिपोर्टें हैं कि अधिकतर अस्पतालों में आईसीयू मरीज़ों से क़रीब-क़रीब भरने वाले हैं।

प्रदूषण फैलने से कोरोना संक्रमण के बढ़ने को जोड़कर भी देखा जा रहा है और इस कारण इस बार दीवाली पर पटाखे नहीं जलाने के लिए ज़्यादा सख़्ती की गई।

इसी को देखते हुए कई राज्यों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया। कई राज्यों में हाई कोर्ट ने पटाखों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाए ताकि प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सके। पश्चिम बंगाल में कलकता हाई कोर्ट ने दीवाली, काली पूजा, छठ और कार्तिक पूजा तक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पटाखों की ख़रीद-बिक्री से लेकर इसके इस्तेमाल तक पर प्रतिबंध लगाया है। ओडिशा, राजस्थान और सिक्किम सरकार ने भी प्रतिबंध लगाया। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने भी प्रतिबंध लगाया। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने सिर्फ़ दो घंटे के लिए दीवाली पर पटाखे जलाने की छूट दी थी। 

हालाँकि इस सख़्ती के बाद भी दीवाली पर प्रदूषण नियंत्रित होता हुआ नहीं दिखा। 

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क़मर वहीद नक़वी

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