loader

दिल्ली: आईएस से जुड़े दंपति से मिली अहम जानकारियां, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

जहानजेब समी (अबु अबदुल्ला) और उसकी पत्नी हिना बशीर की गिरफ्तारी और इनसे बरामद इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कई ऐसी सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं जिसने जांच एजेंसियों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक़ यह दंपति करीब आधा दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था। इनके जरिए लोगों को आंदोलन से जुड़ने और आईएसआईएस की गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा था। 
आलोक वर्मा
कुख़्यात आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े दंपति की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। दिल्ली दंगों और नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध को लेकर हुए उग्र प्रदर्शनों में अब तक केवल गहरी साज़िश या किसी संगठन की अप्रत्यक्ष भूमिका को लेकर संदेह हो रहा था। लेकिन अब दंपति की गिरफ्तारी ने इस संदेह को ठोस आधार दे दिया है। दंपति की गिरफ्तारी से दंगों में शामिल लोगों की पहचान से पर्दा उठने के साथ-साथ और भी कई राज खुलने की उम्मीद है। 
ताज़ा ख़बरें

जहानजेब समी (अबु अबदुल्ला) और उसकी पत्नी हिना बशीर की गिरफ्तारी और इनसे बरामद इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कई ऐसी सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं जिसने जांच एजेंसियों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक़ यह दंपति करीब आधा दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था। इनके जरिए लोगों को आंदोलन से जुड़ने और आईएसआईएस की गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा था। 

पुलिस ने इनके द्वारा फर्जी नाम से बनाए गये सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच शुरू कर दी है। दंपति के पास से बरामद हार्ड डिस्क की जांच में कई और बातें सामने आ सकती हैं। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि दिल्ली के किन-किन इलाक़ों के लोग इनसे प्रभावित थे या जुड़े हुए थे। 

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के तार भी कई संगठनों से जुड़े होने का संदेह है। स्पेशल सेल की हिरासत में मौजूद हिना और समी से इस बारे में गहन पूछताछ की जा रही है। इस बीच पीएफ़आई से जुड़े कुछ संदिग्ध लोगों से भी पुलिस पूछताछ में जुटी है।

दिल्ली दंगों की जांच कर रही पुलिस के लिए लोगों की पहचान करना बड़ी चुनौती बन गई है। असल में पुलिस के पास सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज हैं। इन फुटेज में हिंसा में शामिल लोगों की तसवीरें हैं। शुरुआती जांच में पुलिस को लगा था कि ये फुटेज काफी मददगार होंगी लेकिन पुलिस का यह भ्रम जल्दी ही टूट गया। सीसीटीवी में कई ऐसे लोगों के चेहरे क़ैद हुए हैं जिनकी पहचान करना बड़ी सिरदर्दी है।

पुलिस के पास मौजूद सॉफ्टवेयर (फेस आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) की मदद से इन चेहरों की पहचान करने की कोशिश की गई लेकिन इस सॉफ्टवेयर ने कई ऐसे नाम खोले जिनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था। सॉफ्टवेयर ने कई ऐसे लोगों की पहचान बताई जिनकी या तो मौत हो चुकी थी या वे उस दौरान जेल में थे। अब पुलिस दूसरे तरीक़े से सीसीटीवी में कैद चेहरों की शिनाख्त करने में जुटी है। 

दिल्ली से और ख़बरें

आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन सहित अन्य लोगों से पूछताछ में पता चला है कि दंगों की तैयारी 17 फ़रवरी के बाद ही शुरू हो गई थी। ऐसी जानकारियां भी मिली हैं कि 21 फरवरी को काफी मात्रा में सल्फ़्यूरिक एसिड मंगाया गया था। इस एसिड की सप्लाई में ताहिर के साथी लियाकत की भूमिका संदेह के घेरे में है। 

पुलिस को शक है कि दंगों के साजिशकर्ताओं ने कई छोटे-छोटे ग्रुप का इस्तेमाल किया था। एक ग्रुप को दूसरे ग्रुप के बारे में कुछ नहीं बताया गया था। पुलिस को पत्थरों के ढेर लाने और इन्हें एक विशेष आकार में काटने के बारे में भी काफी कुछ पता चल गया है। हिंसा में शामिल लोगों ने एक विशेष रॉड का भी इस्तेमाल किया है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस तरह की तैयारी कैसे और किन लोगों द्वारा की गई थी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
आलोक वर्मा

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें