सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के पीड़ितों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा है कि अदालत को दबाव में नहीं लाया जा सकता। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अन्य लोगों, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिये और दंगा भड़काया, उनके ख़िलाफ अदालत जल्द एफ़आईआर करने का आदेश दे। कपिल मिश्रा पर आरोप है कि उनके भड़काऊ बयानों के बाद ही दिल्ली में दंगे हुए। अदालत ने कहा है कि वह इन याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि दंगों की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया जाए और इसमें दिल्ली से बाहर के अफ़सरों को रखा जाये। उन्होंने याचिका में मांग की है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाक़ों में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने के लिये सेना को तैनात किया जाये। याचिकाकर्ताओं ने दंगों में पुलिस की भूमिका की जांच के लिये रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की भी मांग की है।
दिल्ली में दंगों का मामला उठाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत से कहा कि अभी भी लोगों की मौत की ख़बरें आ रही हैं और दिल्ली हाई कोर्ट मामले की सुनवाई करने में देरी कर रहा है। इस पर चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) एस.ए. बोबडे ने कहा, ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि लोगों को मरना चाहिये लेकिन अदालत इस तरह का दबाव नहीं झेल सकती। यह अपेक्षाएं होती हैं कि अदालत दंगों को रोक सकती है। अगर कुछ होता है तभी हम अपना क़दम आगे बढ़ा सकते हैं।’
सीजेआई बोबडे ने कहा, ‘हम इस मामले को सुनेंगे लेकिन यह समझना चाहिए कि जब कुछ हो तभी अदालत किसी मामले में आगे आ सकती है।’ सीजेआई ने कहा कि हम चाहते हैं कि शांति बहाल हो लेकिन हम अपनी ताक़त की सीमा भी जानते हैं। याचिका में सभी दंगा पीड़ितों को मुआवज़ा देने की भी मांग की गई है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने की मांग
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों ने जिन लोगों को हिरासत में लिया है, उन लोगों के नामों की सूची को सार्वजनिक किया जाए और दंगा ग्रस्त इलाक़ों की सभी सीसीटीवी फ़ुटेज को संभाल कर रखा जाए। दंगा पीड़ितों ने याचिका में मांग की है कि दंगों में मारे गये लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को उनके परिवारों को जल्द से जल्द दिया जाए।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंच से ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’ का नारा लगाया था। जबकि कपिल मिश्रा ने जाफ़राबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ सड़क पर बैठी महिलाओं को हटाने की मांग करते हुए कहा था कि पुलिस तीन दिन के अंदर सड़क खाली करा ले वरना वे और उनके समर्थक पुलिस की भी नहीं सुनेंगे। इसके बाद इस क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच पत्थरबाज़ी हुई और दिल्ली तीन दिन तक दंगों की आग में जलती रही। दिल्ली के दंगों में मरने वालों और घायलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।
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