दिल्ली में हुए धार्मिक कार्यक्रम को लेकर मरकज़ निज़ामुद्दीन की ओर से दी गई सफाई से दिल्ली सरकार ख़ुश नहीं है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि जब 13 मार्च से ही भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर बैन लगा था तो इस तरह के कार्यक्रमों का क़तई बचाव नहीं किया जा सकता। दिल्ली सरकार ने कहा है कि 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने किसी भी जगह पर 50 से अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कहा है कि मरकज़ का यह कहना कि उसने 24 मार्च को एसएचओ को सूचना दी थी, यह अपर्याप्त है।
आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी मार्लेना ने निज़ामुद्दीन में हुए धार्मिक कार्यक्रम के आयोजकों के ख़िलाफ़ कड़ा क़दम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 13 मार्च से 200 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी थी तो फिर यह कार्यक्रम क्यों किया गया।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 12 मार्च को आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना वायरस के संक्रमण वाले देशों से आने वाले किसी भी व्यक्ति को ख़ुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए तब भी मरकज़ के प्रशासकों ने इस बात को सुनिश्चित क्यों नहीं किया। आतिशी ने सवाल उठाया है कि दिल्ली सरकार के आदेश के बाद भी इतनी बड़ी भीड़ जुटने पर भी दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की।
Moreover, notification by Delhi Govt on 12th March stated that anyone with a travel history from COVID-19 affected countries have to self-isolate, then why did the administrators of the Markaz not ensure isolation of residents coming from those countries? pic.twitter.com/zqd8lzAPOC
— Atishi (@AtishiAAP) March 31, 2020
कौन करवायेगा आदेश का पालन?
यहां सवाल यही है कि जब दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को 200 और 16 मार्च को 50 से ज़्यादा लोगों के किसी कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी तो फिर इतना बड़ा धार्मिक आयोजन कैसे होता रहा और ये लोग समय रहते यहां से क्यों नहीं निकले। सवाल दिल्ली सरकार पर भी है कि वह तमाम आदेशों को गिना रही है लेकिन इन आदेशों का पालन करवाना उसने सुनिश्चित क्यों नहीं किया। क्या इतने नाजुक वक़्त में सिर्फ यह कह देना कि दिल्ली सरकार ने फलां आदेश दे दिया था, यह कहना सही है। पुलिस या दूसरे विभागों से आदेश का पालन करवाना सरकार का ही काम है।
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