loader

दिल्ली में ‘आप’ को मिलेंगी 54-60 सीटें: टाइम्स नाउ-इपसास सर्वे

दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू नहीं चल रहा है? क्या बीजेपी दिल्ली में एक बार फिर बुरी हार की तरफ़ बढ़ रही है? क्या आम आदमी पार्टी 2015 के विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दुहरा पायेगी? और क्या नागरिकता क़ानून भी दिल्ली में बीजेपी को नहीं बचा पायेगा? ये कुछ सवाल हैं जो इस समय देशवासियों के दिमाग में घूम रहे हैं। 

दिल्ली में प्रचार 6 फ़रवरी को ख़त्म हो जायेगा। 8 फ़रवरी को मतदान होगा और 11 फ़रवरी को नतीजे आयेंगे। प्रधानमंत्री मोदी खुद चुनाव प्रचार में कूद पड़े हैं। गृह मंत्री अमित शाह गली-गली, नुक्कड़-नुक्कड़ की ख़ाक छान रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि शाहीन बाग़ का मुद्दा तेज़ी से उठाने के बाद भी बीजेपी दिल्ली का दिल जीत पायी है। 

Times Now-IPSOS survey AAP may get 54-60 seats  - Satya Hindi
आम आदमी पार्टी का प्रचार करते कार्यकर्ता।
अंग्रेजी न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ ने इपसास के साथ मिलकर दिल्ली में सर्वे किया है। सर्वे के नतीजे बीजेपी के लिये बहुत निराशाजनक हैं। 
टाइम्स नाउ-इपसास के ताज़ा सर्वे के मुताबिक़ ‘आप’ इस बार दिल्ली में 54-60 सीटें जीत सकती है जबकि बीजेपी को 10 से 14 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस बड़ी मेहनत के बाद भी 0 से 2 सीटों पर ही क़ब्ज़ा जमा सकती है।

सर्वे के मुताबिक़ ‘आप’ को 52%, बीजेपी को 34% और कांग्रेस को 4% वोट मिलने की संभावना है। पिछली बार ‘आप’ को 67 और बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। अगर 11 फ़रवरी को टाइम्स नाउ-इपसास के सर्वे के मुताबिक़ नतीजे आये तो यह दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की छठी हार होगी। जबकि एक जमाना था कि बीजेपी की राजधानी में तूती बोला करती थी।

ताज़ा ख़बरें

नागरिकता क़ानून पर मिला साथ 

टाइम्स नाउ-इपसास के सर्वे में बीजेपी को इस बात का संतोष हो सकता है कि नागरिकता क़ानून पर दिल्ली के लोग उसके साथ हैं। सर्वे में 71% लोगों ने कहा कि वे सरकार के फ़ैसले के साथ हैं। नागरिकता संशोधन क़ानून में पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आये हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता दी जायेगी लेकिन मुसलिमों को नहीं। 

दिल्ली से और ख़बरें
देश के कई हिस्सों में नागरिकता क़ानून का ज़बर्दस्त विरोध हो रहा है। दिल्ली के शाहीन बाग़ में पचास दिनों से ज़्यादा समय से प्रदर्शन जारी है और बीजेपी इस आंदोलन को देश के ख़िलाफ़ एक साज़िश के तौर पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। बीजेपी के लिये इस सर्वे में एक और सुकून की बात है। वह यह कि सर्वे में 51% लोगों का मानना है कि शाहीन बाग का विरोध-प्रदर्शन सही नहीं है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें