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पुलिसकर्मियों ने लिया सोशल मीडिया का सहारा, बताया दर्द

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में बीते शनिवार को पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुए विवाद के बाद सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में वकीलों को पुलिसकर्मियों से हाथापाई करते देखा जा सकता है। वकीलों की पिटाई का विरोध करने के लिये पुलिसकर्मियों ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया है। कई सीनियर और रिटायर्ड पुलिस अफ़सर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं।

आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट किया है, ‘वकीलों और पुलिस के बीच हुई मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी को जनता के बीच उपलब्ध तथ्यों को देखने के बाद ही संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पुलिस देश भर में उन लोगों के साथ खड़ी है जिन पर हमला हुआ है और एसोसिएशन किसी के भी द्वारा क़ानून हाथ में लेने की निंदा करती है।’  

रिटायर्ड आईपीएएस अफ़सर प्रकाश सिंह ने कहा है कि देश में लगभग हर हफ़्ते किसी एक जिले में पुलिसकर्मियों पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसे हम अराजक तो नहीं लेकिन अव्यवस्था जैसी स्थिति कह सकते हैं। 

आईपीएस अफ़सर सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है और दंगाइयों को सजा दी जानी चाहिए चाहे वे वकील ही क्यों न हों। उन्होंने कहा कि यह वह समय है जब वकीलों को क़ानून को पढ़ना चाहिए। 

आईपीएस अफ़सर मधुर वर्मा ने ट्वीट किया है, 'मुझे दु:ख है कि हम पुलिसकर्मी हैं, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, हमारे परिवार नहीं है, हमारे मानवाधिकार नहीं हैं।'

आईपीएस अफ़सर असलम ख़ान के ट्वीट पर जवाब देते हुए दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने पुलिस नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि पुलिस के अधिकारी ख़ुद पर कोई भी जिम्मेदारी नहीं आने देना चाहते। यह बहुत शर्मनाक है। 

आईपीएस अफ़सर संजुक्ता ने ट्वीट किया, सामने आ रहे वीडियो बेहद परेशान करने वाले हैं। हम सभी को निष्पक्ष रहना चाहिए और समान भाव के साथ रहना चाहिए।
सोशल मीडिया पर आई एक फ़ोटो में एक पुलिसकर्मी ने हाथ में प्लेकार्ड लिया है जिसमें लिखा है कि हम पुलिसकर्मी हैं, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, हमारे परिवार नहीं है, हमारे मानवाधिकार नहीं हैं और कौन हमारी चिंता करता है। 
Tis hazari court police advocate clash - Satya Hindi
इसके अलावा एक पुलिसकर्मी के बेटे ने भी बेहद भावुक अपील की है। बच्चे के हाथ में प्लेकार्ड है जिसमें लिखा है - ‘वकील अंकल, मेरे पिता एक पुलिसकर्मी हैं। हर कोई कहता है कि वह कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें क़ानून के बारे में पता नहीं है।’ बच्चे ने सवाल उठाया है कि उसके पिता को क्यों पीटा गया जबकि वकील पीसीआर को बुला सकते थे।
तीस हजारी कोर्ट परिसर में पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 पुलिस अधिकारी चोटिल हो गये थे। इसके अलावा 8 वकीलों को भी चोट आई थी। बताया जाता है कि अदालत की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने को लेकर यह विवाद हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मी ने वकील पर फ़ायर झोंक दिया था। इसके जवाब में वकीलों ने पुलिस की जिप्सी को आग लगा दी थी और सड़कों पर जाम लगाया था।
पुलिसकर्मी और वकील, दोनों ही हमारी व्यवस्था के बेहद अहम अंग है और दोनों पर ही जिम्मेदारी है कि क़ानून का पालन हो। लेकिन ये दोनों ही अहम अंग आपस में बुरी तरह उलझ गये हैं। ऐसे में सरकार को, न्यायपालिका को कोशिश यह करनी चाहिए कि यह विवाद जल्द से जल्द शांत हो, क्योंकि पुलिस और अदालतों का मिलकर काम करना बेहद ज़रूरी है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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