loader

ऑड-ईवन से किसको मिलेगी छूट?

दिल्ली में ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला 4 से 15 नवंबर तक यानी 12 दिनों के लिए सुबह आठ से रात आठ बजे तक लागू होगा। बीच में पड़ने वाले एक रविवार को यह लागू नहीं होगा। ऑड-ईवन से कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट की भी घोषणा की गई है। स्कूली बसों, अकेली महिलाओं, दो पहिया वाहनों और वीवीआईपी गाड़ियों को ऑड-ईवन से छूट दी गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इसकी घोषणा की।

जिन गाड़ियों पर ऑड-ईवन लागू होगा उसमें से ईवन नंबर वाली गाड़ियाँ 4, 6, 8, 12 और 14 नवंबर को चलेंगी, जबकि 5, 7, 9, 11, 13 और 15 नंवबर को ऑड नंबर वाली गाड़ियाँ चलेंगी। दिल्ली सरकार प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इस योजना को फिर से लागू कर रही है। नियम तोड़ने वालों पर 4 हज़ार का ज़ुर्माना भी लग सकता है। 

ताज़ा ख़बरें

किसके लिए छूट?

  • दो पहिया वाहनों यानी स्कूटरों और मोटरसाइकिलों पर ऑड ईवन लागू नहीं।
  • अकेली महिला को या 12 साल से नीचे के बच्चे के साथ रहने पर भी छूट।
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गवर्नर, विधानसभा स्पीकर, केंद्रीय मंत्रियों की गाड़ियों को छूट।
  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की गाड़ियों पर भी ऑड ईवन लागू नहीं।
  • एम्बेसी की गाड़ियों सहित अन्य वीवीआईपी गाड़ियों को छूट। 
  • विकलांग लोगों को भी ऑड-ईवन नियमों से राहत दी गई है।
  • मुख्यमंत्री केजरीवाल, आम आदमी पार्टी के विधायकों को छूट नहीं। 
  • दूसरे राज्यों के मुख्य मंत्रियों और राज्यपालों को छोड़कर विधायकों को छूट नहीं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के सामने स्कूल बसों को छूट देने के मामले में एक सवाल आया कि बच्चों को छोड़ने के बाद उस बस के ड्राइवर का क्या होगा? इस पर उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चे सामान्य तौर पर सुबह सात से आठ बजे के बीच स्कूल जाते हैं इसलिए व्यक्ति निश्चित तौर पर आठ बजे तक वापस आ चुका होगा जब आठ बजे ऑड-ईवन का समय शुरू होगा।

ऑड-ईवन पर विवाद भी

बता दें कि ऑड-ईवन में छूट देने को लेकर विवाद भी हो चुका है। यह तब की बात है जब पहली बार यह लागू हुआ था। दिल्ली में अब तक दो बार ऑड-ईवन लागू हो चुका है। पहली बार 2016 में एक से 15 जनवरी तक और फिर उसी साल 15 से 30 अप्रैल तक लागू किया गया था। जब पहली बार ऑड-ईवन लागू हुआ था तब इस पर काफ़ी विवाद हुआ था और मामला एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुँचा था। तब एनजीटी ने दिल्ली सरकार को ऑड-ईवन शर्तों के साथ लागू करने का आदेश दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने तब रिव्यू पिटीशन दायर की थी। अपनी रिव्यू पिटीशन में सरकार ने एनजीटी से कहा था कि वह बाक़ी और राज्यों में भी ऑड-ईवन लागू करने का आदेश दे। इसमें दिल्ली से लगे राज्य पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान शामिल थे। हालाँकि एनजीटी ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था।

नवंबर 2017 में एनजीटी ने दोपहिया वाहनों और महिलाओं को ऑड-ईवन के दौरान छूट देने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद सरकार ने याचिका वापस ले ली थी। महिलाओं को ऑड-इवन में छूट देने पर दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि ऑड-ईवन के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले ही भीड़-भाड़ वाला होता है। ऐसे में अगर महिलाओं को भी शामिल किया जाए तो ये सफ़र उनके लिए बेहद तकलीफदेह सफर साबित होगा। इसके बावजूद एनजीटी ने छूट देने से मना कर दिया था।

दिल्ली से और ख़बरें

पराली से बढ़ेगा प्रदूषण

पिछले महीने ही मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा था कि नवंबर के महीने में दिल्ली के आस-पास के कई राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली गैस चैंबर बन जाती है। इसी कारण यह ऑड-ईवन लागू करना का फ़ैसला लिया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों के लिए प्रदूषण मास्क एन-95 भी बाँटेगी।

बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण पर पड़ोसी राज्यों का काफ़ी ज़्यादा असर होता है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया था कि आसपास के राज्यों में पराली जलाने से बढ़ने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जाएगा। 

दिल्ली में प्रदूषण से काफ़ी ज़्यादा स्थिति ख़राब है। इसी बात की ओर इशारा करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में 12 जगहों पर काफ़ी प्रदूषण है। उन्होंने कहा था कि ये हॉटस्पॉट हैं और हम यहाँ विशेष काम करेंगे। उन्होंने प्रदूषण पर लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूलों में अभियान चलाने पर भी ज़ोर दिया। केजरीवाल ने कहा कि पेड़ लगाने के लिए भी लंबा अभियान चलाया जाएगा, जिसमें पेड़ों की होम डिलिवरी की जाएगी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें