लंबे समय से घाटा उठा रही सरकारी हवाई कंपनी एअर इंडिया बिक गई। मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा किया जाए तो टाटा संस ने यह निविदा जीत ली है।
इसका आधिकारिक एलान होना बाकी है, पर वह महज औपचारिकता भर है।
स्पाइस जेट के संस्थापक अजय सिंह ने भी एअर इंडिया खरीदने की बोली लगाई थी। पर समझा जाता है कि टाटा संस की बोली अजय सिंह की प्रस्तावित कीमत से लगभग पाँच हज़ार करोड़ रुपए अधिक थी।
समझा जाता है कि सरकार ने एअर इंडिया की न्यूनतम कीमत 15-20 हज़ार करोड़ रुपए रखी थी। न्यूनतम कीमत से लगभग तीन हज़ार करोड़ रुपए अधिक की कीमत का प्रस्ताव टाटा संस ने दिया है।
सरकार ने किया इनकार
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने इस सौदे से इनकार किया है। डीआईपीएएम के सचिव ने एक ट्वीट कर कहा है, "एअर इंडिया के विनिवेश से जुड़े वित्तीय निविदा को भारत सरकार से मंजूरी मिलने की खबर गलत है।"
इसके साथ ही यह भी कहा गया कि जब इस पर कोई फ़ैसला लिया जाएगा, मीडिया को इसकी जानकारी दी जाएगी।
Media reports indicating approval of financial bids by Government of India in the AI disinvestment case are incorrect. Media will be informed of the Government decision as and when it is taken. pic.twitter.com/PVMgJdDixS
— Secretary, DIPAM (@SecyDIPAM) October 1, 2021
देश की पहली एअरलाइन्स
बता दें कि टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष जे. आर. डी. टाटा ने 1932 में भारत का पहला वाणिज्यिक एअरलाइन्स शुरू किया था, जिसका नाम था टाटा एअरलाइन्स।
इसका नाम बदल कर 1946 में एअर इंडिया कर दिया गया। बाद में 1953 में सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया।
विस्तारा, एअरएशिया
इस तरह यह कहा जा सकता है कि टाटा समूह के पास यह कंपनी फिर पहुँच गई।
टाटा समूह के नियंत्रण में पहले से ही विस्तारा है, जिसमें इसकी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत यानी आधे से अधिक है और इस कारण उसके प्रबंधन पर इसका ही नियंत्रण है।
इसके अलावा एअरएशिया इंडिया में टाटा समूह की हिस्सेदारी 84 प्रतिशत है।
टाटा समूह की रणनीति इन दोनों हवाई कंपनियों को एअर इंडिया में मिला कर एक बड़ी हवाई कंपनी बनाने की है। इसके बाद भारत ही नहीं, पूरे एशिया के आकाश पर टाटा समूह का नियंत्रण होगा।
टाटा की रणनीति
यदि केंद्र सरकार एअर इंडिया ब्रांड को बनाए रखने पर ज़ोर देती है तो एअरएशिया इंडिया को एअर इंडिया में मिला दिया जाएगा।
एक तीसरा विकल्प यह है कि विस्तारा और एअरएशिया इंडिया को मिला दिया जाए और एअर इंडिया स्वतंत्र काम करता रहे।
सौदा
जानकारों का कहना है कि टाटा समूह के साथ सरकार का जो सौदा तय हुआ है, उसके अनुसार, सरकार एअर इंडिया और कारगो कंपनी एअर इंडिया एक्सप्रेस की सौ फ़ीसदी हिस्सेदारी टाटा समूह के बेच देगी।
दूसरी ओर, सरकार ग्राउंड हैंडिंग का काम करने वाली कंपनी एआआएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा संस को बेच देगी।
एअर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना के कारण इसमें व्यवधान आ गया था।
इसके साथ ही टाटा समूह को 4,400 और 1800 लैंडिग व पार्किंग स्लॉट्स भी मिल जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर टाटा को 900 पार्किंग स्लॉट्स मिलेंगे।
क्या होगा कर्मचारियों का?
इस सौदे की कुछ चीजें अभी साफ नहीं हुई हैं। यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि टाटा संस को एअर इंडिया की रियल इस्टेट यानी मकान वगैरह का मालिकाना मिलेगा या नहीं।
कुछ दिन पहले तक एअर इंडिया अपने कुछ रियल इस्टेट संपत्तियो को बेचने की प्रक्रिया में थी, जिसमें मकान और फ्लैट तक शामिल थे।
एक जो सबसे बड़ी समस्या है, वह है एअर इंडिया के कर्मचारियों का। इस सरकारी कंपनी के पास 16,077 कर्मचारी हैं, जिनमें से 9,617 स्थायी कर्मचारी हैं।
टाटा समूह के पास सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह इन कर्मचारियों का क्या करेगी। इनमें से अधिकतर कर्मचारियों की ज़रूरत हवाई कंपनी चलाने में निश्चित तौर पर होगी। लेकिन कुछ कंपनी अतिरिक्त या ग़ैरज़रूरी हो जाएंगे, यह भी तय है।
कुछ दिन पहले तक एअर इंडिया के कर्मचारियों के संगठन ने कंपनी की बिक्री का विरोध किया था और अपनी सुरक्षा पर चिंता जताई थी। इससे यह साफ है कि उनके साथ सरकार की कोई अंतिम बात नहीं हुई।
टाटा समूह मोटे तौर पर गुड कॉरपोरेट गवर्नेंस कंपनी मानी जाती है और कर्मचारियों को लेकर इसका रवैया सहानुभूतिपूर्ण रहता है। लेकिन जो कर्मचारी बच जाएंगे, उनका क्या होगा, इस पर टाटा समूह ने अब तक कुछ नहीं कहा है।
हो सकता है कि कोई वीआरएस स्कीम लाई जाए जो कर्मचारियों को आकर्षक लगे।
एअर इंडिया की संपत्ति
साल 2007 से लगातार घाटे में चल रही एअर इंडिया खराब प्रबंधन का उदाहरण भले हो, पर इसके पास संपत्ति की कमी नहीं है। इसके पास 125 हवाई जहाज़ हैं और सभी ऑपरेशनल हैं, यानी चल रहे हैं या चलने की स्थिति में हैं।
इनमें से बोइंग 747, बोइंग 777, बोइंग 787, एअर बस सीईओ फैमिली और एअर बस एनईओ फैमिली के जहाज़ शामिल हैं।
इसके जहाज़ 102 हवाई अड्डों से उड़ानें भरते हैं। इसकी दो आनुषंगिक कंपनिया हैं- अलायंस एअर और एअर इंडिया एक्सप्रेस।
एअर इंडिया ने 2019 में 26,430.59 करोड़ रुपए का कुल कारोबार किया था, जिस पर इसे 8,556.36 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।
इसकी कुल परिसंपत्तियों की अनुमानित कीमत 52,352.18 करोड़ रुपए है।
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