टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए लगी बोली जीत ली है। टाटा संस ने यह बोली 18 हज़ार करोड़ में जीती। शीर्ष नौकरशाह कांता पांडेय ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफ़िंग में इसकी जानकारी दी। टाटा संस ने 1932 में एयर इंडिया को लांच किया था।
वित्त विभाग ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि अगले एक साल तक किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। इस बोली को जीतने की कतार में टाटा संस ही सबसे आगे था। टाटा ग्रुप एयर इंडिया के कुल कर्ज का 15,300 करोड़ अपने पास रखेगा और नक़द 2,700 करोड़ रुपये सरकार को देगा।
टाटा ग्रुप ने एक बयान में कहा है कि एयर इंडिया के पास 117 एयरक्राफ़्ट हैं जबकि एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड के पास 24 एयरक्राफ़्ट हैं। अब इसके पास हज़ारों प्रशिक्षित पायलटों और क्रू की टीम है और दुनिया भर में शानदार लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट भी हैं।
बता दें कि टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष जे. आर. डी. टाटा ने 1932 में भारत की पहली वाणिज्यिक एअरलाइंस शुरू की थी और इसका नाम रखा था टाटा एयरलाइंस। 1946 में इसका नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया। 1953 में सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया था।
टाटा समूह के नियंत्रण में पहले से ही विस्तारा है, जिसमें इसकी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है और इस कारण इसके प्रबंधन पर टाटा समूह का ही नियंत्रण है। इसके अलावा एयर एशिया इंडिया में टाटा समूह की हिस्सेदारी 84 प्रतिशत है।
साल 2007 से लगातार घाटे में चल रही एयर इंडिया के पास संपत्ति की कमी नहीं है। इसके पास 125 हवाई जहाज़ हैं और सभी ऑपरेशनल हैं, यानी चल रहे हैं या चलने की स्थिति में हैं।
इनमें से बोइंग 747, बोइंग 777, बोइंग 787, एयर बस सीईओ फैमिली और एयर बस एनईओ फैमिली के जहाज़ शामिल हैं।
अपनी राय बतायें