क्या कहते हैं आर्थिक इन्डिकेटर?
उपभोक्ता से जुड़े चार इन्डिकेटरों को देखने से लगता है कि माँग और खपत लगातार कम हो रही है। गाड़ी, ट्रैक्टर, दोपहिया वाहन और घरेलू हवाई यात्रा में बिक्री में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। ऐसा लगातार पाँचवें महीने हो रहा है। इसमें से तीन इन्डिकेटर यानी गाड़ी, ट्रैक्टर, दोपहिया वाहन की बिक्री में गिरावट साल भर से देखी जा रही है। रेल से माल ढोने के मामले में भी कमी आई है।0.2 प्रतशित की वृद्धि
अब तो सरकार भी इसे मानने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में जो आँकड़े दिए हैं, उनसे यह साफ़ है कि कच्चा तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी के उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली क्षेत्रों के कामकाज में सिर्फ़ 0.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह चिंता की बात इसलिए है कि पिछले महीने ही 4.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी। पिछले साल इसी दौरान इन क्षेत्रों में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।सबसे अहम चुनिंदा 8 सेक्टरों में वृद्धि की दर 0.2 प्रतिशत हो जाए तो चिंता की बात है कि यह शून्य वृद्धि के पास पहुँच गई। इन क्षेत्रों में गिरावट चिंता की बात इसलिए भी है कि ये 8 सेक्टर उद्योग जगत के कुल कामकाज का 40.2 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।
सीएमआईई रिपोर्ट में क्या है?
निफ्टी में देश की 50 बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं। इस तिमाही 28 कंपनियों के नतीजे आए हैं, जिनमें 21 औद्योगिक कंपनी हैं। मुनाफा 11% कम हुआ है। 20 हज़ार कंपनियों के सर्वेक्षण के आधार पर सीएमआईई का कहना है कि मुनाफा दर गिरना दीर्घकालीन प्रवृत्ति है - 2007 में जहाँ कुल पूंजी पर कर पश्चात मुनाफे की दर 8.1% थी, 2018 में 1.7% ही रह गई।
मारुति की बिक्री इस तिमाही में 33.5% घटी है। अन्य कंपनियों का भी ऐसा ही हाल है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार सिर्फ़ 7 बड़े शहरों में 4.643 ट्रिलियन रुपये के आवास निर्माण प्रोजेक्ट किसी न किसी चरण में अटके हुये हैं।
इकनॉमिक टाइम्स बता रहा है कि पिछले पाँच साल में बैंकों ने कॉर्पोरेट एनपीए से बचने के लिए बड़ी मात्रा में कर्ज़ लोगों को दिए गए थे। मसलन, गृह, कार, पर्सनल, क्रेडिट कार्ड, एजुकेशन में काफ़ी कर्ज दिया गया था। अब छँटनी व कम वेतन वृद्धि से उनका भुगतान अटकने लगा है।
यही वजह है कि रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में लगातार तीन बार कटौती की है और इसने संकेत दिया है कि ज़रूरत पड़ने पर वह आगे भी कटौती कर सकती है। केंद्रीय बैंक ने आईआईपी यानी इनडेक्स ऑफ़ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की वृद्धि दर में कटौती कर दी है।
Destroy farmers, destroy small traders, destroy entrepreneurs, destroy businesses - bring misery to all sections of society - that seems to be the sole motive of the govt's economic policies since 2014. And it wants to avoid taking responsibility for its actions. pic.twitter.com/CuotWzCnW3
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) August 1, 2019
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