लॉकडाउन के बाद बेरोज़गार हुए और भूखे रहने के संकट का सामना कर रहे मज़दूरों और अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कुछ उद्योगों को शुरू किया जा सकता है। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बीच औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए हैं और उनके सामने जीवन-मरण का संकट खड़ा हो गया है। जिन उद्योगों को शुरू करने का प्रस्ताव है उनमें बड़ी संख्या में मज़दूरों को काम करने की ज़रूरत होती है। इसे चरणबद्ध तरीक़े से शुरू करने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। शुरुआत में जिन उद्योगों में काम शुरू होने की उम्मीद है उनमें टेक्सटाइल्स, ऑटोमोबाइल्स, स्टील, रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन से जुड़े उद्योग शामिल हैं। ऐसे ग़ैर-ज़रूरी सेवाओं व उत्पादनों से जुड़े क़रीब 15 सेक्टरों को छूट दी जा सकती है। फ़िलहाल ज़रूरी सामान वाले उत्पादनों की ही छूट है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने वाला विभाग डीपीआईआईटी ने शनिवार को प्रस्ताव भेजकर कहा है कि इन उद्योगों को चरणबद्ध तरीक़े से धीरे-धीरे काम शुरू करने के लिए इजाज़त दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि सुरक्षा के पर्याप्त उपाय कर एक-एक शिफ़्ट में काम शुरू कराया जा सकता है।
इन सेक्टरों को छूट मिलने की संभावना
- भारी विद्युत और दूरसंचार क्षेत्र को सीमित गतिविधि की छूट।
- तीन शिफ्ट में सीमेंट प्लांट में काम शुरू करने के लिए छूट।
- कपड़ा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को 20-25% की क्षमता तक उत्पादन।
- उस आवास और निर्माण क्षेत्र को जिनमें साइट के भीतर ही मज़दूर रहते हैं।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी एसईजेड और ज़्यादातर निर्यात करने वाली इकाइयाँ।
- हेल्थकेयर के लिए ज़रूरी सामान उत्पादन करने वाला रबर उद्योग।
- मरम्मत करने वाली सेवाएँ, फल, सब्जी विक्रेता।
- माल परिवहन वाहन।
यानी यदि ये उद्योग शुरू होंगे तो मज़दूरों के सामने जो बेरोज़गारी और भूखे मरने की नौबत आई है उससे उन्हें राहत मिल सकती है। बता दें कि लॉकडाउन के बाद बेरोज़गारी दर काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईई ने कहा है कि 30 मार्च से 5 अप्रैल के दौरान यानी छह दिन में बेरोज़गारी दर बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गई है। जबकि पूरे मार्च महीने में यह दर 8.7 फ़ीसदी थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्रम भागीदारी दर 36 प्रतिशत तक गिर गई है। बता दें कि 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद से मज़दूरों की उपलब्धता काफ़ी कम हो गई है और इसलिए इनकी भागीदारी गिर गई है।
मार्च महीने में 90 लाख श्रम बल की कमी आई। श्रम बल में सभी नौकरी करने वाले व्यक्ति और वे बेरोज़गार शामिल हैं जो सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश में हैं। जनवरी और मार्च के बीच रोज़गार की संख्या 411 मिलियन से 396 मिलियन तक गिर गई और बेरोज़गारों की संख्या 32 मिलियन से बढ़कर 38 मिलियन हो गई।
सरकार की ऐसी ही रिपोर्टों के बीच इन उद्योगों को शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, डीपीआईआईटी सचिव गुरु प्रसाद महापात्रा ने 11 अप्रैल को अजय कुमार भल्ला को इस बारे में पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि जो ज़रूरी सेवाएँ हैं उनके अलावा भी कुछ विशेष गतिविधियों को काम करने की इजाज़त दी जानी चाहिए। हालाँकि उन्होंने इस पत्र में यह भी कहा है कि सरकार द्वारा लॉकडाउन को बढ़ाने पर लिए जाने वाले आख़िरी फ़ैसले के बाद इस पर विचार किया जाए। उन्होंने पत्र में कहा है, 'आर्थिक गतिविधियों में सुधार और लोगों को तरलता (यानी रुपये) देने के लिए ये नई गतिविधियाँ ज़रूरी हैं।'
फार्मास्युटिकल्स और हेल्थकेयर जैसे आवश्यक उद्योगों को सामान आपूर्ति करने वाले दूसरे उद्योगों को भी शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है। इसमें रबर उद्योग और दस्ताने, अस्पताल के रबर शीट, चिकित्सा उपकरण, कैथेटर, एनेस्थीसिया बैग जैसे चिकित्सा उपकरण बनाने वाली इकाइयाँ भी शामिल हैं। इसके अलावा भी कई अन्य सेक्टर्स को शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है।
अख़बार ने कहा है कि संपर्क करने पर डीपीआईआईटी सचिव महापात्रा ने उस पत्र के बारे में ज़्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा कि लॉकडाउन के मद्देनज़र, कई सेक्टर्स, व्यापारिक और औद्योगिक इकाइयों के संपर्क में हैं।
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