2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल की क़ीमतों को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर बरसने वाली बीजेपी के राज में ईंधन के दाम आसमान छू रहे हैं। गुरूवार को मुंबई में पेट्रोल 90.83 रुपये प्रति लीटर और डीजल 81.07 रुपये प्रति लीटर की क़ीमत पर बिका। जबकि दिल्ली में पेट्रोल 84.20 रुपये और डीजल 74.38 रुपये प्रति लीटर की क़ीमत पर बिका। राजधानी में पेट्रोल की ये अब तक सबसे ज़्यादा क़ीमत है। गुरूवार को दिल्ली में पेट्रोल की क़ीमत में 23 पैसे और डीजल की क़ीमत में 26 पैसे की बढ़ोतरी की गई।
इससे पहले दिल्ली में 4 अक्टूबर, 2018 को पेट्रोल 84 रुपये और डीजल 75.45 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचा था। मुंबई में 4 अक्टूबर, 2018 को पेट्रोल की क़ीमत 91.34 रुपये प्रति लीटर तक पहुंची थी, जो सबसे ज़्यादा थी।
इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने बुधवार से क़ीमतों में बढ़ोतरी की। हालांकि बीते कुछ दिनों से यह रुकी हुई थी। बुधवार को पेट्रोल की क़ीमत में 26 पैसे और डीजल की क़ीमत में 25 पैसे की बढ़ोतरी हुई थी।
कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा था और सरकार के पास पैसे आने के रास्ते बंद थे। देश रुका हुआ था। तब उसने पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी।
पेट्रोल से ज़्यादा महंगा डीजल
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक ऐसा दौर भी आया जब डीज़ल का दाम पहली बार पेट्रोल से ज़्यादा हो गया था। ऐसा जून, 2020 में हुआ था। कांग्रेस ने पूछा था कि जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) 107 डॉलर प्रति बैरल पर था, तब भारत में पेट्रोल 71.41 और डीज़ल 55.49 रुपये का मिल रहा था और जून में जब क्रूड ऑयल का दाम 42.41 डॉलर प्रति बैरल पर था, तब पेट्रोल 79.76 और डीज़ल 79.88 पर बिक रहा था, आख़िर ऐसा क्यों है।
सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की क़ीमतें कम क्यों नहीं हुईं जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत बढ़ते ही हमारे वहां ईंधन के दाम बढ़ जाते हैं।
एक्साइज ड्यूटी में हो कटौती
जब देश की आम जनता पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती क़ीमतों के कारण त्राहि-त्राहि कर रही है, ऐसे में सरकार को एक्साइज ड्यूटी में कटौती करके जनता को राहत देने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें कम हों तो उस हालत में जनता को उसका फ़ायदा मिलना चाहिए जो कि नहीं होता। ऐसे में बीजेपी से लोग लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि उसके पेट्रोल-डीजल को कम करने के दावे क्या पूरी तरह झूठ पर आधारित थे।
अपनी राय बतायें