loader

मोदी सरकार ने क्यों दिया 5-जी का मुफ़्त ट्रायल?

अभी जो 4-जी और 3-जी के उपकरण हैं वे एयरटेल और वोडाफ़ोन को हुआवे ने ही सप्लाई किये हैं। तो जब वह ख़ुद एक खिलाड़ी होगी तो बिचौलियों को कहाँ जगह मिलेगी? कोई जवाबदेही है? 3-जी में सरकार को 2-जी जितना भी क्यों नहीं मिला? 4-जी इतना सस्ते में क्यों गया और 5 जी मुफ़्त में क्यों ऑफ़र है?
शीतल पी. सिंह

2-जी पर घोटाले का हल्ला मचाकर सरकार में आयी भारतीय जनता पार्टी की सरकार 5-जी को मुफ़्त में ट्रायल के लिए देने को तैयार है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसका एलान किया। 2-जी के आबंटन में लाखों करोड़ रुपये के घपले का शोर मचाने वालों ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा कोई रुचि न दिखाने के चलते चीन की पश्चिमी देशों में बदनाम/प्रतिबंधित कंपनी हुआवे को भी इस काम में शरीक कर लिया है।

ज़रा अतीत में लौटें तो 3-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 2010 में क़रीब 34 दिन चली थी पर 4-जी की नीलामी कुल पाँच दिनों में ही ख़त्म हो गई। 700/900 MHz को किसी ने पूछा तक नहीं और साठ फ़ीसदी बैंडविड्थ बिकी ही नहीं। नतीजा 5-जी का फ़्री ट्रायल करने का एलान हुआ है।

ताज़ा ख़बरें

2-जी पर हवा-हवाई नुक़सान पर गले फाड़-फाड़कर स्कैम तलाश चुके कलाकार ग़ायब हैं। 3-जी की बोली से 5.63 लाख करोड़ रुपए मिलने के अनुमानधारक तब लापता मिले जब कुल 65 हज़ार करोड़ रुपए ही मैदान में आए।

तब के हीरो सीएजी विनोद राय कहाँ हैं? 2017 में अदालत भी घोटाले की तलाश से पीछे हट गई! जबकि टेलीकॉम सेक्टर आज लगभग बर्बाद हो गया है और अब जब हुआवे मैदान में आ ही गई है तो वही होगा जो मोबाइल हैंडसेट बाज़ार का हुआ। भारतीय कंपनियों का सफ़ाया।

अर्थतंत्र से और ख़बरें

अभी जो 4-जी और 3-जी के उपकरण हैं वे एयरटेल और वोडाफ़ोन को हुआवे ने ही सप्लाई किये हैं। तो जब वह ख़ुद एक खिलाड़ी होगी तो बिचौलियों को कहाँ जगह मिलेगी? कोई जवाबदेही है? 3-जी में सरकार को 2-जी जितना भी क्यों नहीं मिला? 4-जी इतना सस्ते में क्यों गया और 5 जी मुफ़्त में क्यों ऑफ़र है?

तो क्या यह न माना जाए कि रचित 2-जी घोटाले में जो एक लाख छिहत्तर करोड़ का नुक़सान विनोद राय ने तय किया था वह सिरे से झूठी कपोलकल्पना थी या वर्तमान सरकार ने 4-जी या 5-जी की स्पेक्ट्रमों की नीलामी में उनसे भी बड़ा घोटाला कर दिया है?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
शीतल पी. सिंह

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें