भारत को 5 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के दावे के बीच ख़बर यह आई है कि औद्योगिक उत्पादन दर एक बार फिर गिरा है, उसके साथ ही महंगाई की दर बढ़ी है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक मई महीने में गिर कर 3.1 प्रतिशत पर आ गई। बीते साल इसी महीने यह 3.8 प्रतिशत पर थी। दूसरी ओर, इस दौरान महँगाई 3.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। सरकारी आँकड़ों से साफ़ है कि मई महीने में औद्योगिक उत्पादन की दर और कम हो सकती थी, लेकिन बिजली क्षेत्र के बेहतर कामकाज से यह यहाँ तक पहुँच सकी। उत्पादन क्षेत्र के कामकाज में बढ़ोतरी मई महीने में 2.5 प्रतिशत की दर से हुई। पिछले साल मई महीने में उत्पादन क्षेत्र की वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र में विकास दर 3.2 फ़ीसदी थी, जबकि बीते साल इसी दौरान यह 5.8 प्रतिशत थी। इसे बड़ी गिरावट कहा जा सकता है।
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लेकिन सबसे बड़ी गिरावट कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में देखी गई। सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस के मुताबिक़, इस क्षेत्र में 1 प्रतिशत से भी कम यानी 0.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल इसी दौरान इस क्षेत्र में 6.4 प्रतिशत का विकास हुआ था।
लेकिन, महँगाई दर तो बढ़ती ही जा रही है। सीएसओ का कहना है कि खाने पीने की चीजों की क़ीमतों में 2.17 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है।
वाल उठता है कि जब कैपिटल गुड्स क्षेत्र की वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम हो, सरकार किस भरोसे यह कह रही है कि वह 2025 तक देश को 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देगी? दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन ये आँकड़े आए हैं, उसी दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पर बहस में भाग लेते हुए इस बात को दुहराया कि 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था भारत ज़रूर बनेगा। उन्होंने यह नहीं कहा कि यह कैसे होगा। लगभग उसी समय सीएसओ से जारी आँकड़ा बता रहा है कि अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति है।
इसके पहले संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने बड़े ही फ़ख़्र से कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते पाँच साल में अर्थव्यवस्था में 1 खरब डॉलर जोड़ा है जबकि इसके पहले के 65 साल में वह काम नहीं हो सका। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल के अंत तक 2 खरब डॉलर जोड़ा जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इस साल 7 प्रतिशत तो अगले साल 8 प्रतिशत की दर से जीडीपी बढ़ेगी और 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 खरब डॉलर की हो जाएगी।
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