loader

लॉकडाउन से 5 लाख रेस्तरां बंद, 70 लाख बेरोज़गार

पूरे देश में कोरोना से हुए लॉकडाउन के कारण 5 लाख से अधिक रेस्तरां बंद हो गए हैं और इस वजह से लगभग 73 लाख लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। लॉकडाउन बढ़ाने की वजह से स्थिति बदतर होने की आशंका है। एक अध्ययन में यह पाया गया है। 
इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक़, 'कुशल कर्मचारी, अकुशल मज़दूर से लेकर ठेके पर या कमीशन के आधार पर काम करने वाले लोग, सब बेकार बैठे हुए हैं। सबसे बुरा असर उन जगहों पर पड़ा है जहाँ विकास अधिक हुआ था, इसमें सभी महानगर शामिल हैं। दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद सबसे अधिक प्रभावित इलाक़ों में हैं।' 
अर्थतंत्र से और खबरें

रियायतें मिलेंगी?

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ख़बर में यह भी कहा है कि ये 5 लाख से ज़्यादा रेस्तराँ इस उम्मीद में बैठे हैं कि केंद्र और राज्य सरकार जल्द ही रियायतों का एलान करेंगी और कुछ इलाकों को खोलेंगी, तभी ये लोग काम पर लौट सकेंगे। यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो ये कामकाज हमेशा के लिए बंद कर देना होगा। 
रसोइये से लेकर कैप्टेन और खाना परोसने वाले से लेकर सफ़ाई करने वाले तक, सब संकट में हैं। इनके ऊपर पलने वाले परिवारों की वजह से यह संकट और ज़्यादा बढ़ा हुआ है। 

कैसे देंगे वेतन?

इन रेस्तरां का लगभग 15 से 25 प्रतिशत खर्च तो सिर्फ़ वेतन में ही चला जाता है और इन्होंने लॉकडाउन का एलान होने के पहले मार्च महीने का वेतन चुका दिया था। चूंकि रेस्तरां बंद पड़े हैं और मालिकों को एक पैसे की कमाई नहीं हुई है, ज़्यादातर रेस्तरां वाले अप्रैल का वेतन देंगे, वे यह नहीं कह पा रहे हैं। 
इसका असर रेस्तरां से जुड़े दूसरे लोगों पर भी पड़ रहा है, खाने पीने की चीजें सप्लाई करने वाले और किसान तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। 

दूध, फल, सब्जी वालों को नुक़सान

नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कुल दूध उत्पादन का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा रेस्तरां सेक्टर को ही जाता था। इसी तरह उद्योगपतियों के समूह फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ (फ़िक्की) का कहना है कि कुल सब्जियों और फलों का लगभग 1 प्रतिशत हिस्सा रेस्तरां वाले खरीदते हैं। 
रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (एनआरएआई) ने वित्त मंत्रालय और नीति आयोग को चिट्ठी लिख कर कहा है कि रेस्तरां सेक्टर, पर्यटन उद्योग, खुदरा व्यापार और व्यापार जगत का अभिन्न अंग है और इसकी मदद की जानी चाहिए।
संगठन ने मांग की है कि रेस्तरां को हालात से उबरने के लिए ज़रूरी है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन का आधा हिस्सा, राशन और बेरोज़गारी भत्ता दे। 

दुहरा नुक़सान

ज़्यादातर बड़े रेस्तरां संगठन कंपनियों के रूप में काम करते हैं, जिसकी अपनी मार्केटिंग, सप्लाई और वित्त टीम है, उनके पास कॉरपोरेट शेफ़ भी होते हैं। इन्हें अच्छा पैसा देना होता है। इन कंपनियों के दूसरे लोग घरों से काम कर रहे हैं, पर रेस्तरां तो बंद पड़ा है, इससे उन्हें दुहरा नुक़सान हो रहा है। 
रेस्तरां मालिकों को इसके अलावा किराये के रूप में बड़ी रकम चुकानी होती है और वह उनके लिए मुसीबत बनी हुई है। उनके कुल खर्च का लगभग 20 प्रतिशत रेस्तरां और उससे जुड़ी जगह के भाड़ा के रूप में होता है।
इसी समय जीएसटी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। उन्हें किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी चुकाना होता है। रेस्तरां वालों ने सरकार से मांग की है कि इस रकम को इनपुट कॉस्ट यानी लागत खर्च में एडजस्ट कर दिया जाए। इसी तरह शराब बेचने के लाइसेंस फ़ीस में भी 50 प्रतिशत कटौती की मांग की जा रही है। 
सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि सरकार का क्या रवैया होगा। पर फ़िलहाल स्थिति यह है कि 5 लाख रेस्तरां बंद हैं और उससे जुड़े 73 लाख लोगों के पास कोई काम नहीं है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें