loader

क्या ट्रंप के दवाब में है मोदी सरकार, अमेरिका को क्लोरोक्वीन देने का फ़ैसला!

क्या भारत एक बार फिर अमेरिकी दवाब में आ गया है? क्या नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मित्र’ डोनल्ड ट्रंप के दवाब में आकर क्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर लगी  रोक हटा ली है?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी के तुरन्त बाद भारत ने क्लोरोक्वीन और पैरासेटामॉल दवाओं के निर्यात पर लगी रोक हटा ली है। 
अर्थतंत्र से और खबरें

क्लोरोक्वीन का निर्यात

सरकार ने एक आदेश में कहा है, ‘पहले से मिले सभी ऑर्डर के मुताबिक निर्यात किया जाएगा, विदेश मंत्रालय और औषधि विभाग मानवता के आधार पर सभी निर्यात ऑर्डर पर अलग-अलग विचार करेंगे।’
इस आदेश का मतलब यह है कि भारत को अब अमेरिका, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और खाड़ी देशों को इन दो दवाओं का निर्यात करना होगा। 

क्लोरोक्वीन निर्यात का विरोध क्यों?

सरकार ने टिनिडेज़ोल, मेट्रोनिडेज़ोल, इरीथ्रोमाइसिन सॉल्ट और विटामिन पर लगी रोक भी हटा दी है। पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगी रोक हटने का विरोध स्वाभाविक है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका में हुए एक शोध में यह पाया गया है कि इस दवा का इस्तेमाल कोरोना रोगियों पर करने से लाभ हुआ है, हालांकि कुछ दूसरे डॉक्टर इससे इत्तिफाक नहीं रखते। 
भारत में इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने कहा है कि कोरोना का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे सकारात्मक नतीजे मिले हैं। 
आईसीएमआर ने इसके साथ ही सरकार को यह भी सलाह दी थी कि इस दवा का भंडारण कर लिया जाए क्योंकि कोरोना के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी ख़ुद भारत को इस दवा की ज़रूरत है। ऐसे में इसके निर्यात का विरोध भी हो सकता है!

सरकार की सफ़ाई

विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘पैरासेटामॉल और ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लाइसेंस दवा की श्रेणी में ही रहेंगी, उनकी माँग पर लगातार नज़र रखी जाएगी। स्टॉक रहा तो इन दवाओं के निर्यात की इजाज़त दी जा सकती है।’ श्रीवास्तव ने कहा : 

‘महामारी के मानवीय पक्ष को देखते हुए भारत पैरासेटामॉल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के उचित मात्रा में पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दे सकता है, ये देश हमारी क्षमता पर ही निर्भर हैं।’


अनुराग श्रीवास्तव, प्रवक्ता, विदेश विभाग

इसके पहले सरकार ने इन दवाओं के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। समझा जाता है कि सरकार का यह फ़ैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की चेतावनी के बाद लिया है। 
ट्रंप ने इसके एक दिन पहली ही भारत को खुले आम चेतावनी दी थी कि यदि उसने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति नहीं की तो वॉशिंगटन उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई करेगा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें