ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड के अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ में खातों के रिकॉर्ड या तो बह गए या लापता हो गए। अब भारत से साझा करने लायक उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
पहले भी सरकारों और रिजर्व बैंक के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। सवाल यह है कि क्या गवर्नर को सरकार की जी-हुज़ूरी करनी चाहिए या अपनी राय मजबूती से रखनी चाहिए?
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में कई गंभीर बिंदुओं को उठाया गया है। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाला समय बेहद मुश्किलों भरा होगा।
84 साल में पहली बार किसी सरकार ने आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 का इस्तेमाल कर रिज़र्व बैंक को निर्देश दिया है। क्या यह रिज़र्व बैंक को 'क़ाबू' में करने की तैयारी है?
पटेल की मूर्ति बनाने के लिए सरकारी कम्पनियों ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत 300 करोड़ रुपये दिए। सीएजी का कहना है कि यह नियमों का उल्लंघन है।
आर्थिक सुधार शुरू होने के बाद से अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई अधिक चौड़ी हो गई है। अरबपतियों की संख्या बढ़ी है तो ग़रीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की तादाद भी।
नोटबंदी के बाद से ही सरकार और आरबीआई के रिश्ते ख़राब होने शुरू हो गए थे। पर बढ़ते एनपीए और ब्याज़ दरों में कटौती के मुद्दों पर लड़ाई खुल कर सामने आ गई है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए रिज़र्व बैंक की वित्तीय स्वतंत्रता ज़रूरी है और इसमें हस्तक्षेप ख़तरनाक होगा।
पीएनबी घोटाले के ‘मास्टरमाइंड’ मेहुल चोकसी एंटिगा में हैं, लेकिन पकड़ से दूर हैं। सीबीआई, ईडी से लेकर विदेश मंत्रालय तक मेहुल के क़रीब भी नहीं पहुंच पाई हैं।
सरकारी बैंक पंजाब नैशनल बैंक में 14 हज़ार कराेड़ का घोटाला हुआ। सवाल यह है कि क्या घोटाले की पूरी रक़म वसूल हो पाएगी? और नीरव मोदी की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई?
सरकारी बैंकों ने जितनी रक़म के डूबे हुए कर्ज़ों की उगाही की, उसका सात गुणा ज़्यादा पैसा उसे बट्टे खाते में डालना पड़ा। आख़िर बैंकिंग व्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी?