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एक और बैंक डूबने के कगार पर, जमाकर्ताओं के पैसे फंसे

यदि आपने यस बैंक में खाता खोल रखा है या उसमें पैसे जमा करते आए हैं, तो आपके लिए बुरी ख़बर है। बुरी ख़बर यह है कि आपका पैसा डूब सकता है। यस बैंक के अरबों रुपए डूब चुके हैं और यह बैंक भी अब डूबने के कगार पर है।
पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक, फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फ़ाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल एंड एफ़एस) और अब यस बैंक डूबने के कगार पर है। लेकिन सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि वह क्या करने जा रही है। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित हैं। 
पर सवाल यह उठता है कि वित्त मंत्री किस आधार पर यह भरोसा दे रही हैं? क्या सरकार के पास कोई कार्य योजना है, कोई रोड मैप है, जिससे जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित रहेंगे? इस पर सीतारमण चुप हैं।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने इस पर सरकार पर हमला किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनके विचारों ने देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है। 
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल पर पलटवार करते हुए कहा है कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की वजह से बैंकों की यह स्थिति हुई है। 
जमाकर्ताओं के लिए चिंता का सबब यह है कि रिज़र्व बैंक ने यस बैंक से महीने भर में अधिकतम 50 हज़ार रुपए निकालने की सीमा तय कर दी है। यह सीमा 3 अप्रैल तक लागू रहेगी। केंद्रीय बैंक ने यह छूट ज़रूर दे रखी है कि मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में  यस बैंक से अधिकतम 5 लाख रुपए निकाले जा सकते हैं। 
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क्या यस बैंक में आपका खाता है?

यदि आपका खाता यस बैंक में हैं तो इन कारणों से आपको चिंतित होने की ज़रूरत है : 

  • यदि सैलरी अकाउंट है और आपकी सैलरी 50 हज़ार रुपए से ज़्यादा है तो आपको अपनी सैलरी लेने के किसी दूसरे विकल्प पर विचार करना होगा, क्योंकि आप इस रकम से ज़्यादा नहीं निकाल सकते।
  • यदि आपके पास यस बैंक में कई खाते हैं तो आपकी दिक्क़त यह है कि आपकी कुल रकम महीने में 50 हज़ार से ज़्यादा नहीं हो सकती। यानी कई खातों को मिला कर भी आप 50 हज़ार ही निकाल पाएंगे।
  • यदि आप कोई ईएमआई भरते हैं या पैसे ट्रांसफर करते हैं तो भी यह रकम 50 हज़ार से ज़्यादा नहीं हो सकती।
  • यदि आपने बैंक में पैसे जमा कर रखे हैं तो आपके लिए चिंता की बात है क्योंकि आप महीने भर में 50 हज़ार से ज़्यादा नहीं निकाल सकते। 
रिज़र्व बैंकं के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अधिकतम पैसे निकालने की सीमा तय करने का फ़ैसला सर्वोच्च स्तर पर लिया गया है। इसके साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा है कि सभी जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित हैं और किसी को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। 

30 दिनों में पुनर्वास पैकेज

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा यह जल्द ही यस बैंक को बचाने की योजना  लेकर आएगा। एक महीने के अंदर यस बैंक के पुनर्वास की योजना तैयार कर ली जाएगी।
शक्तिकांत दास ने कहा, '30 दिन की अधिकतम सीमा तय की गई है। आरबीआई तेजी से और सुचारू रूप से काम कर रहा है और यह जल्द ही एक स्कीम पेश करेगा।'
पुनर्वास पैकेज में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। पर इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यस बैंक का विलय किसी दूसरे बैंक में कर दिया जाए। अब सवाल यह उठता है कि कौन बैंक ऐसा करेगा। इसके पहले बैंकों के पुनर्गठन की योजना सरकार ने पेश की थी। वह काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। 
यस बैंक के साथ खूबी यह है कि उसके पास बहुत बड़ी जमा रकम है। दो लाख करोड़ रुपए कम नहीं होते। इसके अलावा उसका कस्टमर बेस बहुत बड़ा है, यानी उसके उपभोक्ताओं की संख्या बहुत ज्यादा है और विविध है।
यस बैंक की घटना से वित्त मंत्रालय में हड़कंप मचा हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार से मुलाक़ात की है। 
समझा जाता है कि स्टेट बैंक यस बैंक खरीद सकता है। वह सैद्धांतिक रूप से स्टेट बैंक को पैसे देने पर राज़ी हो गया है। निर्मला सीतारमण के साथ रजनीश कुमार की बैठक को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। 

शेयर बाज़ार में कोहराम

शेयर बाज़ार पर यस बैंक की घटना का बहुत ही बुरा असर पड़ा है। शुक्रवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज में यस बैंक के शेयरों की कीमत 25 प्रतिशत टूट कर 27.65 पर आ गई। इसका असर पूरे शेयर बाज़ार पर पड़ा और सेंसेक्स 1,400 अंक टूट गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में भी शेयरों की कीमतें गिरीं और उसका सूचकांक निफ़्टी 11,000 अंक के नीचे चला गया।
फिलहाल स्थिति यह है कि यस बैंक के एटीएम बंद हैं, उससे पैसे नहीं निकल रहे हैं। शाखाओं में खलबली मची है, लोगों को पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। महीने में अधिकतम 50 हज़ार रुपए निकालने की योजना लागू हो चुकी है। दूसरी कोई गतिविध नहीं हो रही है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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