आर्थिक मंदी के बीच सरकार और वित्त मंत्रालय की अजीब छटपटाहट है। हाल ही में कर उगाही कम होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए बड़े व्यवसायी घरानों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई थी, लेकिन अब उसी कर उगाही को बढ़ाने के लिए सरकार अफ़सरों को टारगेट दे रही है। है न अजीबोगरीब बात!
पिछले कुछ महीनों से डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी अप्रत्यक्ष कर वसूली में काफ़ी कमी आई है और यह केंद्र व राज्य सरकारों के लिए बड़ी चिंता की बात है। कर उगाही का यह टारगेट डायरेक्ट टैक्स यानी लोगों की आय पर लगने वाला कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी सामान ख़रीदने या सेवाओं पर लगने वाला कर दोनों के लिए है। केंद्र की जीएसटी उगाही अप्रैल-नवंबर में लक्ष्य से 40 फ़ीसदी कम हुआ है और यह सिर्फ़ 3.28 लाख करोड़ रुपये ही रहा है जबकि टारगेट 5.26 लाख करोड़ का था। डायरेक्ट टैक्स की वसूली तो 13.35 लाख करोड़ के लक्ष्य का 41.7 फ़ीसदी यानी 5.56 लाख करोड़ रुपये ही हो पाई।
इसे पूरा करने के लिए अधिकारियों के पास सिर्फ़ चार माह बचे हैं। इन चार महीनों में माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी का ही 4.55 लाख करोड़ रुपये वसूल करने को कहा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार माना जाता है कि इसके लिए राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने वीडियो कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की है। बताया जाता है कि अफ़सरों को कहा गया है कि करदाताओं को बिना परेशान किए यह टारगेट पूरा करना है।
बता दें कि कैफ़े कॉफ़ी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी और उन्होंने अपने कर्मचारियों को लिखी चिट्ठी में आयकर विभाग के अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप भी लगाया था। इसी बीच वित्त मंत्रालय ने ख़राब आर्थिक स्थिति से उबरने के उपायों की घोषणा करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए थे कि करदाताओं को परेशान किया जाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसा होने पर संबंधित अधिकारी के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल है कि जब टारगेट दिया गया है ति अफ़सर करदाताओं से किस तरह कर की उगाही करेंगे?
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