लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोग अभी भी सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। इंडिया टुडे के मुताबिक़, एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘यह एक बड़ी राहत साबित होगी। इंटरनेट के जमाने में कश्मीर दुनिया से कट गया था और सरकार के द्वारा लगाये गये कियोस्क तक पहुंचना बेहद कठिन था।’ उन्होंने कहा कि कम से कम वह ऑफ़िस की ई-मेल चेक कर पायेंगे।
कुछ दिन पहले जारी किये गये आदेश में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने होटलों में, परिवहन से संबंधित व्यवसाय में ब्राडबैंड इंटरनेट के इस्तेमाल की अनुमति दी थी और कश्मीर में 400 अतिरिक्त इंटरनेट कियोस्क लगाये जाने की बात कही थी। इसके अलावा इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों से अस्पताल, बैंकों और सरकारी ऑफ़िसों में भी ब्राडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के लिये कहा था।
इससे पहले 2G मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को जम्मू के सभी 10 जिलों और कश्मीर के दो जिलों कुपवाड़ा और बांदीपोरा में बहाल किया गया था। इसके अलावा प्रीपेड मोबाइल फ़ोन में कॉलिंग और एसएमएस भेजने की सुविधा को भी चालू कर दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग का यह फ़ैसला तब आया है जब कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने घाटी में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि व्यापार और ई-बैंकिंग सेवाओं के लिए इंटरनेट को शुरू किया जाए।
कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहद अहम अंग है। कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट इस्तेमाल करने की आज़ादी लोगों का मूलभूत अधिकार है और बिना वजह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता और केंद्र सरकार से कश्मीर में लगाये गये प्रतिबंधों से जुड़े सभी आदेशों की एक हफ़्ते में समीक्षा करने के लिए कहा था।
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