जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले और उसमें सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मृत्यु से केंद्र सरकार के इस दावे की एक बार फिर धज्जियाँ उड़ गईं कि राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म कर देने के बाद आतंकवाद भी ख़त्म हो जाएगा।
सच तो यह है कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 में बदलाव कर जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष अधिकार ख़त्म कर दिया गया, उस दिन से राज्य में छोटे-बड़े 80 से ज़्यादा आतंकवादी हमले हुए हैं।
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आतंकवादी हमले
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि 5 अगस्त 2019 और 10 मार्च 2020 के बीच 79 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें 49 आतंकवादी मारे गए हैं।लेकिन रेड्डी ने 5 फरवरी 2020 को लोकसभा में ही ये जानकारी भी दी थी कि 5 अगस्त 2019 और 4 फरवरी 2020 के बीच हुए आतंकवादी हमलों में सुरक्षा बलों के 82 जवान व अफ़सर शहीद हो गए।
जम्मू-कश्मीर के सोपोर में 17 अगस्त, 2019 को हुए आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बस यानी सीआरपीएफ़ के 3 जवान शहीद हो गए। वे बख़्तरबंद गाड़ी में गश्त पर थे जब उन आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया।
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में 30 अक्टूबर 2019 को अज्ञात हमलावरों ने 5 बाहरी मजदूरों हत्या कर दी और अन्य एक को घायल कर दिया। कुलगाम के काटरोसू इलाके में अज्ञात बंदूकधारियों ने बाहरी मजदूरों के एक समूह में गोलियाँ चलायी जिसमें 6 मजदूरों को गोलियाँ लगी और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने 5 मजदूरों को मृत घोषित कर दिया। यह हमला उस समय हुआ जब यूरोपीय संघ का 23 संसदीय प्रतिनिधिमंडल यहा दो दिवसीय यात्रा पर आया हुआ था।
राज्य के किश्तवाड़ के दाचन में 12 अप्रैल 2020 को हुए आतंकवादी हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक जवान मारा गया, दूसरा बुरी तरह घायल हो गया। ये दोनों ही स्पेशल पुलिस ऑफ़ीसर थे।
जम्मू-कश्मीर में हुए ताज़ा आतंकवादी हमले से एक बार फिर यह साफ़ हो गया कि अनुच्छेद 370 में बदलाव या अनुच्छेद 35 ए के ख़ात्मे का अर्थ आतंकवाद का ख़ात्मा नहीं है।
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