जम्मू कश्मीर के कुलगाम ज़िले में आतंकवादियों ने बीजेपी सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की काजीगुंड में गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार गुरुवार सुबह ही आतंकवादियों ने उन पर हमला किया। वह बीजेपी के कुलगाम ज़िले के उपाध्यक्ष थे।
पुलिस के अनुसार जब सज्जाद अपने घर के बाहर थे तभी आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग कर दी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हाल के दिनों में यह नेताओं पर चौथा ऐसा हमला है। पिछले तीन दिनों में ही यह दूसरा हमला है। पहले आतंकवादियों ने कुलगाम ज़िले के ही अखरान के बीजेपी सरपंच आरिफ़ अहमद पर हमला कर दिया था। इस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
पिछले महीने ही बांदीपोरा ज़िला में पूर्व बीजेपी ज़िला अध्यक्ष वसीम बारी, उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। जब वे अपनी दुकान के बाहर थे तभी आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग कर दी थी। बारी को 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन हमले के दौरान सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे। उन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया था।
इस हमले में एक नए आतंकवादी समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने हमले की ज़िम्मेदारी ली थी। पुलिस ने कहा कि यह समूह जैश, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन का मोर्चा है।
सुरक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नाम का एक नया संगठन मुख्य रूप से यह लश्कर-ए-तैयबा का फ्रंट है। लश्कर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है, जिसकी स्थापना 1987 में हाफ़िज़ सईद ने की थी। यह जल्द ही दक्षिण एशिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठनों में शुमार हो गया। भारत के ख़िलाफ़ चल रही आतंकवादी गतिविधियों में इसकी प्रमुख भूमिका है।
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ या टीआरएफ़ का नाम पहली बार अक्टूबर 2019 को सामने आया। सोपोर में 28 अक्टूबर को हुए ग्रेनेड हमले में 19 लोग ज़ख़्मी हो गए थे। टीआरएफ़ ने इसकी ज़िम्मेदारी ली थी।
जून महीने में अनंतनाग ज़िले में लरकीपुरा क्षेत्र में कांग्रेस सरपंच अजय कुमार पंडिता की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि सुरक्षाबलों ने अभियान चलाया था और आतंकवादियों को मार गिराया गया था। तब कहा गया था कि मारे गए लोगों में अजय पंडिता के हत्यारे शामिल थे।
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