loader

श्रीनगर : आतंकवादी हमले में दो शिक्षक मारे गए, तीन दिन में पाँच की हत्या

जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं को एक बार फिर निशाना बनाने की कोशिशें हो रही हैं। श्रीनगर में माखन लाल बिंदरू की हत्या के दो दिन बाद ही दो शिक्षकों की हत्या कर दी गई है। इनमें से एक हिन्दू व एक सिख हैं।समझा जाता है कि इन तीनों ही वारदातों के पीछे आंतकवादी संगठन 'द रेजिस्टेन्स फ़ोर्स' का हाथ है, हालांकि सुरक्षा बलों ने पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा है।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा है कि श्रीनगर के संगम ईदगाह में दो स्कूली शिक्षकों को गोली मार दी गई है। इस इलाक़े को चारों ओर से घेर लिया गया है और आतंकवादियों को ढूंढने का काम शुरू कर दिया गया है।

उमर अब्दुल्ला ने शोक जताया

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर ट्वीट कर शोक जताया है। उन्होंने कहा है, "श्रीनगर से एक बार फिर दुखद खबरें आ रही हैं। इस बार सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों को निशाना बना कर मारा गया है। इस अमानवीय आतंकवादी हमले की निंदा शब्दों में नहीं की जा सकती है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मारे गए लोगों की आत्मा को शांति मिले।"

निशाने पर कश्मीरी पंडित?

बता दें कि इसके पहले मंगलवार को श्रीनगर के इक़बाल पार्क इलाक़े में एक 70 वर्षीय दवा दुकानदार की इसी तरह गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

बिंदरू एक कश्मीरी पंडित थे और 1990 के दशक में आतंकवाद के चरम पर होने व कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाए जाने के बाद भी उन्होंने कश्मीर को नहीं छोड़ा था। 

यह वह समय था जब जम्मू- कश्मीर से बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पलायन कर देश के दूसरे हिस्सों में गए थे और फिर कभी लौटकर वापस नहीं जा पाए। 

ख़ास ख़बरें

इक़बाल पार्क की घटना के बाद आतंकवादियों ने श्रीनगर के लाल बाज़ार में हमला किया और एक रेहड़ी वाले की हत्या कर दी। पुलिस ने उनकी पहचान वीरेंद्र पासवान के रूप में की है। पुलिस ने बताया कि बिहार के भागलपुर का रहने वाला वह शख्स श्रीनगर के जदीबल इलाक़े में रहता था।

एक घंटे के भीतर तीसरे आतंकी हमले में बांदीपोरा में आतंकवादियों ने एक और नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी थी। उस शख्स की पहचान इलाक़े के एक टैक्सी स्टैंड के अध्यक्ष मुहम्मद शफी के रूप में हुई है।

बीते साल पाकिस्तान ने भारत में सक्रिय कई आतंकवादी गुटों को मिला कर टीआरएफ़ यानी 'द रेजिस्टेन्स फ़ोर्स' का गठन किया था। इसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आँखों में धूल झोंकना था।

पाकिस्तान का मक़सद यह दिखाना था कि यह स्थानीय लोगों का प्रतिरोध है। इसके साथ ही इसका नाम कुछ इस तरह रखा गया था कि किसी इसलामी आतंकवादी गुट के बारे में संदेह न हो।

हालांकि अभी तक किसी गुट ने इन हत्याओं की ज़िम्मेदारी नहीं ली है न ही पुलिस ने कुछ कहा है, पर पर्यवेक्षकों का मानना इन वारदातों के पीछी टीआरएफ़ का हाथ हो सकता है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

जम्मू-कश्मीर से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें