जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने गृह मंत्री को एक कड़ी चिट्ठी लिख कर कहा है कि जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, कश्मीर के लोगों को जानवरों की तरह पिंजड़े में बंद कर दिया गया था और उनके तमाम मानवाधिकार छीन लिए गए थे। यह चिट्ठी सरकार के दावे के उलट है कि घाटी में स्थिति सामान्य है और किसी को गिरफ़्तार या नज़रबंद नहीं किया गया है।
'सुरक्षा बलों ने दी है धमकी'
इल्तिज़ा मुफ़्ती ने अमित शाह को एक ख़त लिख कर पूछा है कि उन्हें अपने घर में क्यों नज़रबंद किया गया है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लिखी चिट्ठी में कहा है कि उन्हें किसी से बात नहीं करने दिया जा रहा है और सुरक्षा बलों ने उन्हें धमकी दी है कि उन्होंने मीडिया से बात की तो गंभीर नतीजा भुगतना होगा। इल्तिजा ने चिट्ठी में लिखा, 'मैं पूरे सम्मान के साथ यह कहना चाहती हूँ कि मैं यह नहीं समझ पा रही हूँ कि जिन लोगों की आवाज़ दबा दी गई है, उनकी ओर से बोलने की सज़ा मुझे क्यों दी जा रही है। हम लोगों के साथ जो बेइज्ज़ती हुई है, जो दुख और यंत्रणा दी गई है, उसके बारे में बोलना क्या अपराध है? हमारी जो दुर्गति हुई है, उसके बारे में बोलने पर क्या हमें नज़रबंद कर दिया जाना चाहिए?'
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सुरक्षा बलों ने समाचार पोर्टलों और अख़बारों को दिए मेरे इंटरव्यू को मेरी नज़रबंदी का कारण बताया है। उन्होंने मुझे धमकी दी है कि यदि मैंने मीडिया से बात की तो मेरा अंजाम बुरा होगा।
इल्तिजा मुफ़्ती, महबूबा मुफ़्ती की बेटी
इल्तिजा मुफ़्ती ने इस पर अचरज जताया है कि 'उन्हें अपने घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है जबकि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ी नहीं हैं और नियम क़ानून का पालन करने वाली नागरिक हैं।'
गृह मंत्री अमित शाह के नाम इल्तिजा मुफ़्ती की चिट्ठी
महबूबा मुफ़्ती की बेटी ने पूछा है कि किस क़ानून के तहत उन्हें नज़रबंद किया गया है, इसके साथ ही उन्होंने इसके ख़िलाफ़ अदालत जाने की धमकी भी दी है।
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सबको पंगु कर देने वाली कर्फ़्यू लगे दस दिन बीत गए, जो बेहद तक़लीफ़देह रहे हैं। घाटी में डर पसरा हुआ है क्योंकि संचार के सारे माध्यम काट दिए गए हैं और पूरी आबादी को कमज़ोर कर दिया गया है। आज जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, कश्मीरियों को जानवरों की तरह पिजड़े में डाल दिया गया है और उनके मानवाधिकार कुचल दिए गए हैं।
इल्तिजा मुफ़्ती, महबूबा मुफ़्ती की बेटी
सरकारी दावों के उलट!
यह चिट्ठी इसलिए भी अहम है कि यह सरकार के तमाम दावों के उलट है। सरकार ने एक नहीं कई बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति बिल्कुल सामान्य है और कुछ छिटपुट वारदात को छोड़ कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं घटी है। पर इल्तिजा मुफ़्ती की चिट्ठी से साफ़ है कि घाटी में स्थिति सामान्य नहीं है। संसद में अनुच्छेद 370 बदलने का प्रस्ताव पेश करने से एक दिन पहले यानी 4 अगस्त को ही दूसरे नेताओं के साथ महबूबा मुफ़्ती को भी नज़रबंद कर दिया गया था। लेकिन उसी महबूबा मुफ़्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई थी और उसमें बीजेपी के लोग बतौर मंत्री शामिल भी हुए थे। यह सरकार तक़रीबन साढ़े तीन साल चली थी, जो बीजेपी के समर्थन वापस लेने से जून 2018 में गिर गई थी।
मुफ़्ती के साथ बीजेपी ने बनाई थी सरकार
पहले महबूबा के पिता मुफ़्ती मुहम्मद सईद मार्च 2015 से जनवरी 2016 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्य मंत्री थे। उनकी मौत के बाद महबूबा मुख्य मत्री बनीं और यह सरकार जून 2018 तक चली।मुफ़्ती मुहम्मद सईद पहली बार नवंबर 2002 में जम्मू-कश्मीर के मुख्य मंत्री बने थे। वह नवंबर 2005 तक इस पद पर बने रहे।
इसके पहले सईद केंद्र सरकार में भी मंत्री थे। वह दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे। उनके गृह मंत्री रहते ही उनकी बड़ी बेटी डॉक्टर रुबैया सईद का अपहरण आतंकवादियों ने कर लिया था। समझा जाता है कि डॉक्टर रुबैया की रिहाई के बदले केंद्र सरकार ने कुछ आतंकवादियों को छोड़ दिया था, हालाँकि इससे सरकार ने इनकार किया था।
इसके पहले जब महबूबा को नज़रबंद किया गया था, इल्तिजा ने एक वीडियो जारी कर अपनी माँ को लेकर चिंता जताई थी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में इल्तिजा ने कहा था कि उनकी माँ को गिरफ़्तार कर लिया गया है और अनजान जगह पर रखा गया है। उस समय तक सरकार ने मुफ़्ती को गिरफ़्तार या नज़रबंद करने से इनकार किया था।
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