loader

370: एक मंच पर आए फ़ारूक़, महबूबा और सज्जाद लोन

जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 और 35 ए की बहाली के लिए संघर्ष करने का दम भर रहे राजनीतिक दल लंबी लड़ाई के लिए ख़ुद को तैयार करने में जुटे हुए हैं। हाल ही में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेन्स और कुछ अन्य दलों की बैठक के बाद इनके प्रमुख नेताओं ने कहा था कि वे अपनी मांग को लेकर अंतिम दम तक संघर्ष करते रहेंगे। 

इन दलों ने एकजुट होकर 'पीपल्स एलायंस फ़ॉर गुप्कर डिक्लेरेशन' का गठन किया है। श्रीनगर के गुप्कर इलाक़े में स्थित पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के घर पर हुई बैठक में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती, पीपल्स कॉन्फ्रेन्स के सज्जाद लोन, पीपल्स मूवमेंट पार्टी के जावेद मीर और सीपीआई (एम) के मुहम्मद यूसुफ़ तारीगामी भी मौजूद रहे थे। 

अवामी नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता भी बैठक में शामिल हुए थे जबकि सीपीआई और कांग्रेस के नेता ग़ैर-हाज़िर रहे थे। लेकिन इन दोनों दलों ने इस गठबंधन की मुहिम को समर्थन देने की बात कही थी। 

ताज़ा ख़बरें

अब कोशिश इस बात की है कि 'पीपल्स एलायंस फ़ॉर गुप्कर डिक्लेरेशन' को एक गठबंधन का आकार दिया जाए और उसके बाद संवैधानिक रास्ते पर चलकर अपने हक़ की आवाज़ को बुलंद किया जाए। 

अपने आवास पर बैठक के बाद फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस गठबंधन का एलान करते हुए कहा था कि 5 अगस्त, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति थी, उसे फिर से बहाल करने के लिए संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि मौजूदा स्थिति किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और इसे हर हाल में बदलना होगा। 

महबूबा, लोन को मिलेगी जिम्मेदारी

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेन्स के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला को गठबंधन का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के सबसे पुराने सियासतदां हैं। इसके अलावा मरहूम पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और पीपल्स कॉन्फ्रेन्स के नेता सज्जाद लोन की भी गठबंधन में अहम भूमिका होगी। नेशनल कॉन्फ्रेन्स के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गठबंधन के कोर ग्रुप के सदस्य हो सकते हैं। 

इस गठबंधन में एक कार्यकारी परिषद, एक चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, जनरल सेक्रेट्री, चीफ़ को-ऑर्डिनेटर, मुख्य प्रवक्ता, सभी पार्टियों से प्रवक्ता और हर पार्टी के पदाधिकारी को शामिल किया जाएगा। 

जम्मू-कश्मीर से और ख़बरें

पिछले साल 4 अगस्त को भी फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपने आवास पर ऐसी ही सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और बैठक में धारा 370 और अनुच्छेद 35ए प्रावधानों को बनाए रखने का संकल्प लिया गया था। लेकिन 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने इन दोनों प्रावधानों में बदलाव कर सभी प्रमुख नेताओं को नज़रबंद कर दिया था। 

विधानसभा चुनाव की गुंजाइश नहीं

जेलों में बंद अधिकतर नेताओं की रिहाई के बाद यह माना जा रहा था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू कर सकती है लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषद की स्थापना की जा रही है, जिसके प्रतिनिधि सीधे जनता के बीच से चुने जाएंगे। इसका मतलब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अभी केंद्र-शासित प्रदेश बने रहेंगे और इन्हें इनके पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की संभावना अभी नहीं है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

जम्मू-कश्मीर से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें