loader

प्रियंका की मेहनत से बदला अमेठी, रायबरेली का माहौल

‘भईया जी (प्रियंका गाँधी) बहुत मेहनत कइके अमेठी, रायबरेली कै माहौल बदल दीन्ही। अब लोग बिटिया के भागदौड़ देखके नरम पड़िगे हैं।   सब कहत हैं भइया बहुत गंभीर हैं अब सबकै बात सुनी जाई, सबकै मदद करी, हियां से चुनाव भी लड़ी। अइसे ज़्यादे लोग अब नाराज़गी भूली गये हैं।  स्कूल-कालेज कै लरकवा, भईया जी को बहुत अच्छा कहत हैं।’ यह कहना है अमेठी के बुजुर्ग विजय पाण्डेय का। मुसाफ़िरखाना के हमीद का कहना है, ‘सीधी लड़ाई तौ अकेले राहुल गाँधी ही लड़ी रहे हैं। बाक़ी पार्टियाँ वाले मुँह चोरावत घूम रहे हैं।’
रायबरेली के विकासखंड राही के राममूरत का कहना है कि रायबरेली, अमेठी में हाथी ना लड़त है, पंजा देखबै। लेकिन ऊँचाहार के राजेन्द्र साहू फ़ूल की बात कर रहे हैं।   
ताज़ा ख़बरें

कांग्रेस के रणनीतिकार मान कर चल रहे हैं कि अमेठी और रायबरेली दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में पार्टी जीत जायेगी। अन्तर यह है कि अमेठी में  ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है, रायबरेली में रास्ता साफ़ है। जबकि बीजेपी के प्रबंधक कह रहे हैं कि अमेठी में इस बार केन्द्र की शक्तिशाली मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को कड़ी टक्कर दे रही हैं। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गाँधी को घेरने के लिए बीजेपी सत्ता शीर्षद्वय ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। इसके लिए उन्होंने अपनी ताक़तवर योद्धा स्मृति जुबिन ईरानी को एक बार फिर लाकर खड़ा कर दिया है।

2014 में अमेठी से हारने के बावजूद 12वीं पास स्मृति जुबिन ईरानी को केन्द्र के महत्वपूर्ण  मंत्रालयों में से एक मानव संसाधन विकास मंत्रालय सौंपा गया था। फिलहाल वह अमेठी में हर तरह का उपक्रम करके राहुल गाँधी को पछाड़ने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन लगता नहीं है कि वह राहुल को हरा पायेंगी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने अमेठी में मेहनत करके मोहल्लों, गाँवों के ज़्यादातर नाराज मतदाताओं को मना लिया है। ऐसे में स्मृति जुबिन ईरानी के लिए अमेठी फ़तह करना कठिन लग रहा है।
जहाँ तक यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली का सवाल है, वहाँ तो पहले से ही प्रियंका गाँधी सब कुछ देखती रही हैं। इस बार उन्होंने और ज़्यादा ध्यान दिया है। क्योंकि सोनिया गाँधी की तबियत ख़राब होने के कारण वह अपने संसदीय क्षेत्र में अधिक समय नहीं दे पाई हैं। उनकी कमी को प्रियंका गाँधी पूरा कर रही हैं।बीजेपी ने भी रायबरेली में ऐसा प्रत्याशी खड़ा किया है जो बहुत हल्का है। दिनेश सिंह को टिकट देकर एक तरह से अपने को लड़ाई से बाहर कर लिया है। इसके चलते रायबरेली के लोग मान रहे हैं कि बीजेपी ने यहाँ प्रत्याशी खड़ा करने की केवल खानापूर्ति की है। रही बात सपा व बसपा की तो, दोनों ने ही सद्भाव दिखाते हुए राहुल व सोनिया के विरूद्ध कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। और इस तरह इन दोनों (राहुल व सोनिया) का समर्थन किया है। ऐसे में राहुल व सोनिया गाँधी की जीत 2014 से भी आसान होने तथा अधिक वोटों से होने की संभावना बन गई है। 
चुनाव 2019 से और ख़बरें
2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय सीट पर कुल 8,74,625 वोट पड़े थे। कांग्रेस प्रत्याशी  राहुल गाँधी को 408,651 (46.71 प्रतिशत) वोट मिले थे और वह 1,07,903 वोट से जीते थे। दूसरे नम्बर पर बीजेपी प्रत्याशी स्मृति जुबिन ईरानी थीं और उन्हें 3,00,478 (34.38 प्रतिशत) वोट मिले थे। राहुल गाँधी को स्मृति जुबिन ईरानी से 12.33 प्रतिशत अधिक वोट (1,07,903) मिले थे। बसपा के धर्मेंद्र प्रताप सिंह 57,716 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर आये थे। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी और कवि कुमार विश्वास 25,527 वोट पाकर चौथे नम्बर पर आये थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गाँधी को 5,26,434 वोट मिले थे और वह 3,52,713 मतों से जीती थीं। 1,73,721 वोट पाकर बीजेपी के अजय अग्रवाल दूसरे नम्बर पर आये थे। बसपा के प्रवेश सिंह 63,633 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर थे। आम आदमी पार्टी की अर्चना श्रीवास्तव को 10,383 वोट मिले थे।  

कांग्रेस को ज़्यादा वोट मिलने की उम्मीद

उ.प्र. के पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सुरेन्द्र का कहना है कि 2014 का माहौल 2019 में नहीं है। गठबंधन में होने के कारण सपा और बसपा ने अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशी नहीं खड़ा करके कांग्रेस का समर्थन किया है। आम आदमी पार्टी भी इस बार यहाँ नहीं है। सुरेन्द्र का कहना है कि 2014 में जो मत बसपा व आप प्रत्याशी की तरफ़ गये थे, वे सभी बीजेपी विरोधी मत थे। इस बार उनमें से लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं के वोट दोनों संसदीय सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गाँधी व सोनिया गाँधी की तरफ़ आने की संभावना है। 
प्रियंका गाँधी को राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्वी उ.प्र. का प्रभारी बनाने का भी सबसे अधिक असर अमेठी व रायबरेली संसदीय सीट पर पड़ रहा है। ऐसा लग रहा है कि इससे मतदाता पहले से अधिक उत्साहित होकर कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट देंगे।
प्रियंका गाँधी की मेहनत के चलते अमेठी और रायबरेली दोनों संसदीय सीटों पर इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को 2014 से अधिक वोट मिलने और उनके अधिक मार्जिन से जीतने की उम्मीद है।जबकि बीजेपी सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का कहना है कि हालाँकि अखिलेश और मायावती ने रायबरेली और अमेठी में अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है लेकिन वे दोनों इन दिनों कांग्रेस के विरूद्ध बयान भी दे रहे हैं कि कांग्रेस से उनका कोई अंदरूनी समझौता नहीं है। बड़ोदिया के मुताबिक़, इसके कारण सपा के यादव वोट तथा बसपा के दलित वोट कांग्रेस की तरफ़ नहीं जाकर बीजेपी की तरफ़ आ रहे हैं और मोदी और स्मृति ईरानी के 5 वर्ष के काम भी बोल रहे हैं। उनके मुताबिक़, देश की जनता केवल नमो-नमो कर रही है और स्मृति ईरानी ने अमेठी में बहुत काम किया है। इसलिए स्मृति ईरानी को मेहनत का अच्छा फल मिलने की संभावना है।
संबंधित ख़बरें
लेकिन बीजेपी नेताओं की इन बातों पर एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव कहते हैं, जनता अब ना-मो, ना-मो करने लगी है। ईवीएम पर लगाम लग जाये तो असलियत सामने आ जायेगी। इसलिए बीजेपी के लोग बौखला गये हैं और अच्छे दिन को भूल कर अब अपने असली एजेंडे हिंदू-मुसलिम, पाकिस्तान-हिन्दुस्तान पर उतर आये हैं। जबकि प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के हुकमरान को बुलाकर गले लगाया था और मास्को दौरे से भारत आते समय इस्लामाबाद जाकर उनके जन्मदिन पर सरप्राइज बधाई और गिफ़्ट देकर आए थे। श्रीवास्तव कहते हैं, इसके बारे में मोदी व उनके कीर्तनी नहीं कुछ बोल रहे हैं क्योंकि इनकी ज़मीन अब खिसक रही है। कांग्रेस अमेठी, रायबरेली  लोकसभा सीट तो इस बार भी जीत ही रही है, राज्य में कई अन्य सीट भी जीत रही है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें