वोट की ख़ातिर नेताओं को क्या-क्या नहीं करना पड़ता, इसकी एक झलक आज उस वक़्त देखने को मिली जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी रायबरेली के गाँव में सपेरों के बीच बैठकर ज़हरीले साँपों से खेलतीं नज़र आईं। कांग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग की तरफ़ से आधिकारिक तौर पर जारी किए गए क़रीब दो मिनट के इस वीडियो में प्रियंका गाँधी साँप और साँप के बच्चे से खेलती नज़र आ रहींं हैं। साथ ही सपेरों से उनकी समस्याओं के बारे में बात कर रही हैं।
प्रियंका गाँधी का यह वीडियो और तसवीरें सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रही हैं। इससे पहले कभी भी किसी नेता को इस तरह साँपों से खेलते हुए शायद ही देखा गया हो। 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में ज़रूर यह प्रचार हुआ था कि बचपन में नरेंद्र मोदी एक बार मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ कर घर ले गए थे और फिर माँ के कहने पर वापस उसे नदी में छोड़ आए थे। इस घटना पर पिछले चुनाव में बाल नरेंद्र नाम से एक कॉमिक्स भी छपी थी जो काफ़ी लोकप्रिय हुई थी।
बाल नरेंद्र मोदी को मगरमच्छ पकड़ते हुए किसी ने नहीं देखा, उसके बारे में सिर्फ़ सुना गया था। लेकिन प्रियंका गाँधी के ब्रांड मैनेजरों ने उन्हें साँप से खेलते हुए पूरी दुनिया को ज़रूर दिखा दिया है। एक तरह से यह प्रियंका गाँधी की नई छवि गढ़ने की कोशिश है।
मिली जानकारी के मुताबिक़, प्रियंका गाँधी गुरुवार को अपनी माँ और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली में प्रचार के लिए पहुँची थीं। वहाँ उन्होंने सपेरों के एक गाँव हंसा का पुरवा में जाकर सपेरों से मुलाक़ात की थी। उनके बीच बैठकर उनकी समस्याएँ सुनीं और उन्हें दूर करने का भरोसा दिलाया।
प्रियंका सपेरों के साथ काफ़ी देर तक बैठीं रहीं। उन्होंने सपेरों से डब्बा खोलकर साँप दिखाने की गुज़ारिश की। इस बीच साँप दिखे तो प्रियंका गाँधी ने साँप को अपने हाथ में पकड़ लिया। साँप पकड़ते हुए प्रियंका गाँधी जरा भी डरी हुई नहीं दिखीं। उसके बाद साँप के छोटे बच्चे को काफ़ी देर तक उन्होंने अपने हाथ में पकड़े रखा। इस वीडियो में प्रियंका गाँधी को सपेरों के साथ बात करते हुए और साँप और साँप के बच्चे के साथ खेलते हुए देखा जा सकता है।
अमेठी में है कड़ा मुक़ाबला
अमेठी और रायबरेली में आगामी 6 मई को पांचवे चरण के मतदान के दौरान वोट पड़ेंगे। माना जा रहा है कि अमेठी में इस बार हार का ख़तरा मंडरा रहा है। मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी यहाँ से राहुल गाँधी को कड़ी टक्कर दे रही हैं। स्मृति ईरानी की सभाओं में जुट रही ज़बर्दस्त भीड़ के बाद से ही प्रियंका गाँधी ने कई दिन से वहाँ डेरा डाला हुआ है। वह गाँव-गाँव और घर-घर जाकर लोगों से मिल रही हैं।
गाँव-गाँव जाकर लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में बात करने की अपनी मुहिम के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गाँधी रायबरेली में सपेरों की बस्ती पहुंची थींं। सपेरों के साथ बैठकर बातचीत करने और साँपों से खेलने की यह तसवीरें मीडिया को जारी करने के पीछे कांग्रेस का मक़सद यह जताना है कि प्रियंका गाँधी समाज के हर तबक़े के हितों का ख्याल रखती हैं।
2004 के बाद से ही प्रियंका गाँधी लगातार रायबरेली में सोनिया गाँधी की इलेक्शन एजेंट रही हैं। मतदान से कुछ दिन पहले यहींं रुक कर चुनाव प्रबंधन और प्रचार की कमान संभालती रहींं हैं। इससे पहले भी प्रियंका गाँधी सपेरों के गाँव गई होंगी लेकिन उसकी तसवीरें इस तरह से कभी सामने नहीं आईंं। इस बार अगर तसवीरें सामने आई हैं तो ज़रूर इसके पीछे कांग्रेस के रणनीतिकारों की एक अलग तरह की छवि गढ़ने की सोच रही होगी।
हालाँकि पिछले महीने अमेठी में कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में प्रियंका गाँधी ने कहा था कि इस बार वह अमेठी और रायबरेली में ज़्यादा वक़्त नहीं दे पाएँगी क्योंकि राहुल गाँधी ने उनके कंधे पर पूरे देश में प्रचार की जिम्मेदारी डाली हुई है। लेकिन अमेठी में हार का ख़तरा देते हुए प्रियंका गाँधी को यहाँ कई दिन से डेरा डालना पड़ा है। अपने भाई और माँ को जिताने के लिए प्रियंका गाँधी हर वह काम कर रहींं हैंं जिससे कांग्रेस के वोट बढ़ जाएँ।
सपेरों के गाँव में जाकर उनके साथ घुलना-मिलना, उनकी समस्याओं के बारे में बात करना और कोबरा जैसे ज़हरीले साँप को हाथ में पकड़ कर प्रियंका यह साबित करना चाहती हैं कि वह जीत के लिए कोई भी जोख़िम उठा सकती हैं।
दादी से सीखा प्रियंका ने लोगों से जुड़ना
प्रियंका गाँधी की ख़ासियत है कि जब वह कहीं जाकर लोगों से मिलती हैं तो उन्हीं के रंग में रंग जाती हैं। यह बात उन्होंने अपनी दादी से सीखी है। इंदिरा गाँधी ऐसा ही करती थींं। इंदिरा गाँधी की खासियत थी कि देश के जिस हिस्से में वह जाती थीं, वहीं की संस्कृति और रिवाज के अनुसार कपड़े पहनती थीं और उन्हीं की भाषा शैली और अंदाज में लोगों से बात करती थीं। यही स्टाइल प्रियंका गाँधी ने भी अपना रखा है। इंदिरा गाँधी की इस ख़ूबी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनाया और पिछले 5 साल में जमकर उसका इस्तेमाल किया। अब प्रियंका गाँधी अपनी दादी की शैली अपना कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहीं हैं।
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