एक बार फिर उग्रवाद ने कश्मीर को लपेट लिया। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ़ की टुकड़ी पर आत्मघाती हमले ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए सॉफ़्ट टार्गेट है।
रफ़ाल-सौदे पर महालेखा नियंत्रक की रपट संसद में पेश क्या हुई, उजाला और अंधेरा एक साथ हो गया है। इसके बावजूद सरकार के लोग अपनी पीठ ख़ुद ही क्यों थपथपा रहे हैं?
राहुल गाँधी ने में घोषणा कर दी कि अगर कांग्रेस 2019 के चुनाव के बाद सत्ता में आई तो सबके लिए एक निश्चित आमदनी की गारंटी कर दी जाएगी। क्या इससे ग़रीबी ख़त्म हो जाएगी?
गाँधी के सपनों का आदर्श समाज न्याय प्रधान था। संघ के सपनों का आदर्श समाज अपनत्व प्रधान था। यहीं वह टकराव है। कहते हैं विचारों को नहीं मारा जा सकता है और इसीलिए गाँधी के विरोधी उनसे थर्राते हैं।
जॉर्ज समाजवादी नेता थे लेकिन उन्होंने और उनके साथियों ने सत्ता में बने रहने के लिए संघ, बीजेपी से भी हाथ मिला लिया और धर्मनिरपेक्षता के साथ समझौता कर लिया।
सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपनाने का बीजेपी की तरफ़ से अभियान चल रहा है। तो क्या बीजेपी गाँधी को अपना बना पायेगी?
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण यानी इससे होने वाली बीमारियों से हर रोज़ कम से कम 80 मौतें होती हैं। मर्ज तो बढ़ता जा रहा है, इलाज कोई नहीं।
कोलकाता में हुई ममता बनर्जी की विशाल जनसभा 1977 की याद ताज़ा कर रही है। उस समय रामलीला मैदान में इंदिरा गाँधी के विरुद्ध इतनी ही जबर्दस्त जनसभा हुई थी। क्या दोनों रैलियों में कोई समानता है?
जस्टिस सीकरी ने लदंन में सीएसएटी पोस्टिंग का प्रस्ताव ठुकराकर बहुत अच्छा किया। कोई भी व्यक्ति जो अपने चरित्र पर कीचड़ उछाला जाना बर्दाश्त नहीं कर सकता, वह ऐसा ही करता।
ख़बर है कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की 'नई शिक्षा नीति' ने देश भर में कक्षा आठ तक हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाने की सिफ़ारिश की है। तो क्या हिंदी अब डंडे के बल पर चलेगी?
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार और मीडिया को हमेशा एक-दूसरे का विरोधी होना चाहिए, यह सही मानसिकता नहीं है। गृह मंत्री का यह बयान संविधान विरोधी है।