विगत गुरुवार हिंदी के प्रमुख अख़बार 'दैनिक जागरण' के आगरा संस्करण के चीफ़ सब एडिटर पंकज कुलश्रेष्ठ कोरोना के विरुद्ध युद्ध हार गए। लेकिन क्या प्रशासनिक लापरवाही नहीं होती तो वह इतनी आसानी से वह हार मानते?
नागरिकता क़ानून का विरोध करने के कारण दिल्ली पुलिस ने सफूरा के ख़िलाफ़ झूठे साक्ष्य बनाए और दिल्ली में दंगे भड़काने का आरोप लगाकर उसे हिरासत में ले लिया।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुन कर कई तरह के ख़याल आए।
केंद्र और राज्य सरकारें यह दावा कर रही हैं कि इन मज़दूरों को खाने के सामान उपलब्ध कराये जा रहे हैं पर तमाम राज्यों और शहरों से गाँवों की तरफ़ सड़कों पर उमड़ती भीड़ इन दावों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
क्या सरकार को इतनी मामूली सी बात भी नहीं पता कि पेट्रोल-डीज़ल के दाम आसमान छूने से सबसे ज़्यादा असर मध्य वर्ग पर ही पड़ेगा। मध्यम वर्ग पर ही आर्थिक मन्दी और बेरोज़गारी की सबसे तगड़ी मार पड़ी है।
आरोग्य सेतु ऐप को लेकर न सिर्फ़ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सवाल खड़े किए हैं बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन नामक एक संगठन ने भी अपनी चिंता जताई है।
महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के रवैये से जो राजनीतिक संकट खड़ा होता दिख रहा था, वह अब टल गया है। किसके इशारे पर चुनाव कराने को तैयार हुए राज्यपाल और चुनाव आयोग?