2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने कांग्रेस को पाकिस्तान परस्त, गद्दार जैसे शब्दों से नवाज़ा है। बीजेपी का कहना है कि उसने एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को सबक सिखाया है। ऐसा कहकर वह ख़ुद को राष्ट्रवादी बताती है और देश की सुरक्षा मजबूत हाथों में होने की बात कहती है। लेकिन मोदी सरकार के राज में पुलवामा, उड़ी और पठानकोट में हुए हमले उसके राष्ट्रवाद और देश के मजबूत हाथ में होने को झूठा साबित करते हैं।
ख़ैर, कांग्रेस अब आम लोगों के साथ ही बीजेपी को भी बताने जा रही है कि दिसंबर, 1971 में हुए युद्ध में तत्कालीन इंदिरा सरकार ने क्या किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस जंग के 50 साल 2020 में पूरे हो चुके हैं। भारत ने इस युद्ध में किस तरह पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे, कांग्रेस इसे लोगों के सामने रखेगी। कांग्रेस लोगों को बताएगी कि इंदिरा गांधी ने किस तरह बांग्लादेश बनवाकर दुनिया का भूगोल बदल दिया था और बीजेपी को जवाब भी देगी।
‘द इकनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक़, पार्टी का ब्लूप्रिंट तैयार है और 1971 के युद्ध में क्या हुआ था, इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस ने साल भर तक चलने वाले कार्यक्रम तैयार कर लिए हैं। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में बनी कमेटी इसे देख रही है। कमेटी में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार और प्रवीन डावर शामिल हैं। कांग्रेस इसे लेकर देश के हर जिले, ब्लॉक में सम्मेलन करेगी।
इन सम्मेलनों के दौरान सेमिनार होंगे, भाषण होंगे और निबंध लिखो और सवाल-जवाब की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। सोशल मीडिया पर भी इसका बड़े स्तर पर प्रचार किया जाएगा।
ये सभी कार्यक्रम पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद शुरू होंगे और सितंबर तक जिला और ब्लॉक स्तर तक चलेंगे। अक्टूबर में सभी राज्यों में राज्य स्तरीय सम्मेलन होंगे और 16 दिसंबर 2021 को दिल्ली में 1971 की जीत की गोल्डन जुबली मनाई जाएगी। यह दिन पाकिस्तान पर भारत की जीत का दिन है।
पूर्व सैनिकों को जोड़ेगी पार्टी
कांग्रेस ने सभी राज्यों के पूर्व सैनिकों तक पहुंचने का भी लक्ष्य रखा है। ऐसे राज्य जहां से बड़ी संख्या में सैनिक निकलते हैं, उन राज्यों में पार्टी का विशेष फ़ोकस रहेगा। कांग्रेस उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर सम्मेलन करेगी।
कांग्रेस को उम्मीद है कि इसके जरिये वह बीजेपी और उसकी आईटी सेल द्वारा उसे पाकिस्तान परस्त बताए जाने के आरोपों का जोरदार जवाब दे सकेगी। साथ ही वह यह भी बताएगी कि बीजेपी के राज में राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह कमजोर हुई है।
चीन के साथ सीमा विवाद के मसले पर कांग्रेस मोदी सरकार पर खासी आक्रामक रही है। राहुल गांधी कह चुके हैं कि मोदी सरकार भारत की ज़मीन चीन को सौंप चुकी है। कांग्रेस के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वह बीजेपी के द्वारा चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा का जवाब दे क्योंकि इससे पार्टी को जबरदस्त राजनीतिक नुक़सान हो रहा है।
क्यों टूटा था पाकिस्तान?
1971 के युद्ध में दोनों ही देश पूरी ताक़त के साथ लड़े थे। तब दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न नहीं थे, वरना युद्ध का अंजाम बहुत बुरा हो सकता था। इस युद्ध का कारण यह था कि 1947 में बने पाकिस्तान के दो हिस्से थे, पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला बोली जाती थी जबकि पश्चिमी पाकिस्तान में पंजाबी और उर्दू। इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को दिक्कत तो होती ही थी, साथ ही अलग मुल्क़ बनने के बाद से ही सत्ता में भी बड़ी भागीदारी पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों की ही थी। इसके ख़िलाफ़ पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में जबरदस्त नाराज़गी थी।
पाकिस्तानी सेना की बर्बरता
1970 के चुनावों में शेख मुजीब उर रहमान की अवामी लीग को बड़ी जीत मिली थी और पाकिस्तान की सत्ता उनके हाथ में जानी थी। लेकिन कहा जाता है कि तत्कालीन सैन्य जनरल याह्या ख़ान इसके लिए तैयार नहीं थे। इसके ख़िलाफ़ पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह शुरू हुआ और याह्या ख़ान ने पाकिस्तान की सेना के जरिये पूर्वी पाकिस्तान में लोगों को कुचलना शुरू कर दिया।
पाकिस्तान की सेना ने लाखों बांग्लादेशी महिलाओं से बलात्कार किया और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इससे यह विद्रोह बढ़ गया और मुजीब उर रहमान ने भारत से मदद मांगी। इंदिरा ने अपनी फ़ौजों को हुक्म दिया और जंग छेड़ दी।
13 दिन में ही पाकिस्तान की यह हालत हो गयी थी कि 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने 90 हज़ार सैनिकों के साथ सरेंडर कर दिया था।
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