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अजय मिश्रा टेनी

ब्राह्मणों को यूपी में नाराज नहीं करना चाहती भाजपा

पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की धमक, अखिलेश यादव की पार्टी सपा और जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के बीच चुनावी गठबंधन के बाद इस बेल्ट में चुनावी समीकरण बदल गए हैं। इसलिए भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश पर फोकस कर रही है। पिछले कई चुनावों से खासतौर पर यूपी में ब्राह्मण भाजपा के साथ खड़े हैं। इसलिए भाजपा इस आधार को खोना नहीं चाहती।



केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाने में क्या यूपी का ब्राह्मण फैक्टर आड़े आ रहा है। लखीमपुर कांड में टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू के खिलाफ एसआईटी रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टेनी को कैबिनेट से हटाने का दबाव बढ़ गया है। संसद से लेकर सड़क तक टेनी की बर्खास्तगी की मांग उठ गई है।

यूपी में चंद दिनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा के ब्राह्मण के फैक्टर को समझने से पहले कुछ जमीनी हकीकत जाननी जरूरी है।

पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की धमक, अखिलेश यादव की पार्टी सपा और जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के बीच चुनावी गठबंधन के बाद इस बेल्ट में चुनावी समीकरण बदल गए हैं। इसलिए भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश पर फोकस कर रही है। डेढ़ महीने में प्रधानमंत्री की 6 रैलियां होना इसी तथ्य को बयान करते हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनाव में ब्राह्मणों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 12 फीसदी जाटव के बाद ब्राह्मण 10 फीसदी सबसे ज्यादा हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा ब्राह्मण यूपी में ही हैं, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतदाता प्रमुख हैं।

यूपी के ब्राह्मण लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहे हैं। कांग्रेस ने भी गोविन्द वल्लभ पंत और नारायण दत्त तिवारी समेत तमाम ब्राह्मण नेताओं को शिखर पर पहुंचाकर उनका एहसान भी चुकाया। लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ब्राह्मण कांग्रेस से अलग होने लगा। 1992 में हालात एकदम से बदल गए।

2004 के चुनाव में इसकी झलक भी दिखाई दी, जब ब्राह्मणों ने भाजपा के साथ जाना स्वीकार किया। हालांकि 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती ने सरकार बनाकर ब्राह्मण चेहरे सतीश मिश्रा के जरिए इस भ्रम को दूर करने की कोशिश की। लेकिन तथ्य बदले नहीं। 2007 में 56 ब्राह्मण विधायक विधानसभा में पहुंचे थे।

2014 के लोकसभा चुनाव ने सारे चुनावी पंडितों को फेल कर दिया। भाजपा को कुल पड़े मतों का 40 फीसदी से ज्यादा यूपी में उसे वोट मिला। इसमें ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका प्रमुख थी। सीएसडीएस-लोकनीति रिपोर्ट के मुताबिक करीब 72 फीसदी ब्राह्मणों ने यूपी में भाजपा को वोट दिया था। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश ने निर्णायक भूमिका निभाई थी।

इसके बाद 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों और भाजपा का तालमेल बना रहा। भाजपा की अंदरुनी बैठकों में दावा किया गया था कि 2017 में 80 फीसदी और 2019 में 82 फीसदी ब्राह्मणों ने यूपी में भाजपा को वोट दिया था। 2017 में 47 ब्राह्मण विधायक विधानसभा में पहुंचे थे।

हालांकि 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद विकास दूबे एनकाउंटर मामला हुआ। फिर ब्राह्मण बहुल इलाकों में उन पर हमले बढ़ने के बाद योगी के खिलाफ यूपी के ब्राह्मण भाजपा नेताओं ने ऐतराज भी उठाया। लेकिन शीघ्र ही सब शांत हो गया।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए ब्राह्मण जिस तरह रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं, उससे भाजपा आला कमान खासकर आरएसएस अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के पक्ष में नहीं है।

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यूसुफ किरमानी

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