loader

चिराग ने बीजेपी को याद दिलाया- जब नीतीश छोड़कर चले गए थे हमने साथ दिया था 

चाचा पशुपति पारस की बग़ावत से मिले जख़्मों से घायल एलजेपी सांसद चिराग पासवान के ये ज़ख्म हरे हो सकते हैं। पिता की मौत के बाद केंद्रीय कैबिनेट में अपनी जगह तय मान रहे चिराग की उम्मीदों को चाचा की अगुवाई में हुई बग़ावत के बाद बड़ा झटका लगा है। 

अब चिराग को डर यह है कि उनका मंत्री पद कहीं चाचा को न चला जाए और साथ ही नीतीश कुमार की जेडीयू अगर ज़्यादा मंत्री पद पाने में सफल रही तो यह उनके सियासी करियर के लिए बड़ा झटका होगा। इस बीच, नीतीश दिल्ली पहुंच गए हैं। 

इसीलिए चिराग ने बीजेपी आलाकमान को याद दिलाया है कि जब नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया था तब भी उनकी पार्टी एलजेपी एनडीए में ही थी। 

ताज़ा ख़बरें

‘दलित विरोधी हैं नीतीश’

चिराग ने एनडीटीवी से बातचीत में नीतीश पर दलित विरोधी मानसिकता रखने का भी आरोप लगाया और कहा कि वह अपनी पार्टी में भी दलितों के साथ ग़लत व्यवहार करते हैं। चिराग ने कहा कि उन्होंने जीतन राम मांझी से सत्ता छीन ली थी। मैं नीतीश कुमार के असली चेहरे को उजागर करूंगा और बिहार के दलितों को इस बारे में बताऊंगा। चिराग अगले महीने ‘आशीर्वाद यात्रा’ निकालने जा रहे हैं और यह यात्रा बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों से होकर जाएगी। 

चिराग ने कहा कि इस बात पर भरोसा करना बेहद मुश्किल है कि एलजेपी में हुई इस बग़ावत का बीजेपी के बड़े नेताओं को पता नहीं रहा होगा। 

पशुपति पारस के एलजेपी संसदीय दल का नेता चुने जाने को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने जिस तरह तुरंत सहमति दी है, उससे भी लगता है कि इस खेल में कहीं न कहीं बीजेपी शामिल है। 

Chirag Paswan to BJP on ljp split  - Satya Hindi

नीतीश का बदला 

एलजेपी में हुई इस टूट को नीतीश के द्वारा लिया गया सियासी बदला भी माना जा रहा है क्योंकि चिराग ने विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश को हराने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के बाद जेडीयू ने इस बात की तसदीक भी की थी। चिराग ने उस दौरान ख़ुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान भी बताया था। 

चिराग ने बातचीत में कहा, “इस बात को नहीं भूला जाना चाहिए कि हमने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम घोषित किए जाने के बाद भी उनसे हाथ मिलाया था जबकि उनके पुराने साथी नीतीश ने उन्हें छोड़ दिया था और ये पासवान वोटर्स ही थे जिन्होंने साथ दिया था।” 

चिराग की कोशिश है कि पिता की राजनीतिक विरासत उन्हें ही मिले। लेकिन जितनी बड़ी टूट पार्टी में हुई है, उसमें वह अकेले तो पड़ ही गए हैं। उन्हें दिखाना होगा कि वह सियासी दम-खम वाले नेता हैं।

चाचा बोले- बनूंगा मंत्री 

केंद्रीय कैबिनेट के इस महीने संभावित विस्तार में यह माना जा रहा है कि पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री बन सकते हैं। एलजेपी के सांसद पशुपति पारस ने ख़ुद ही इस बात के संकेत दिए हैं। पारस ने कुछ दिन पहले पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था कि जिस दिन वे मंत्री बन जाएंगे संसदीय दल के नेता के पद से इस्तीफ़ा देकर अपने किसी दूसरे साथी को नेता बनाएंगे। इससे साफ है कि पारस की बीजेपी आलाकमान से डील हो चुकी है। 

राजनीति से और ख़बरें

बिहार बीजेपी ने अलर्ट किया

लेकिन बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी आलाकमान को सुझाव दिया है कि चिराग पासवान के ख़िलाफ़ पशुपति पारस का आंख बंद करके समर्थन करना ग़लती साबित होगा।

एनडीटीवी के मुताबिक़, बिहार बीजेपी के नेताओं ने एलजेपी में तुरत-फुरत एक सर्वे करवाया है। इसके तहत पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को फ़ोन  किए गए हैं। इसमें नेताओं-कार्यकर्ताओं ने चाचा पशुपति पारस से ज़्यादा चिराग पासवान की हिमायत की है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें