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पीएम मोदी ने ये नहीं बताया कि कुछ नहीं बचने दूंगा: कांग्रेस 

मोदी सरकार के द्वारा नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना को लाने का कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया है। केंद्र ने सोमवार को इस योजना के बारे में बताया था कि इसके जरिये उसने अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। 

लेकिन कांग्रेस ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर इसके विरोध में अभियान चलाया है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार निजीकरण करने की होड़ में देश के साथ विश्वासघात कर रही है, राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा जा रहा है और मित्रों को मुनाफा पहुंचाया जा रहा है। पार्टी ने #StopSellingIndia के जरिये अपनी बात रखी है। 

कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था- देश नहीं बिकने दूंगा लेकिन ये नहीं बताया कि कुछ नहीं बचने दूंगा। पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये कहा है कि देश के हाईवे, रेलवे, हवाई अड्डों, खदानों, स्टेडियम, प्राकृतिक गैस पाइपाइन सहित और भी कई संपत्तियों को मोदी के मित्रों को बेचा जा रहा है और यह सबके साथ विश्वासघात है। 

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सिर्फ़ 7 साल लगे 

कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह वीडियो जारी किया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि मैंने कसम उठाई है, मैं देश नहीं बिकने दूंगा। कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य 'मैं देश नहीं बिकने दूंगा' से 'मैं सब कुछ बेच दूंगा' का सफर मात्र 7 साल में तय किया है और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण की तरफ मोदी सरकार के बढ़ रहे क़दम देश के लिए विनाशकारी साबित होंगे।

congress opposed National Monetisation Pipeline of modi government  - Satya Hindi

बैंकों का राष्ट्रीयकरण 

पार्टी का कहना है कि कांग्रेस ने ख़राब हालात में देश को मजबूत आधार देने के लिए निजी संपत्तियों के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत की थी, जिससे विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाया जा सके और इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए बैंकों और निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। पार्टी ने कहा है कि मोदी सरकार के द्वारा सरकारी संपत्तियों को बेचने का काम एक मिशन बन चुका है और सरकार ने विकास के चक्र को उल्टी दिशा में घुमा दिया है। 

सरकार ही रखेगी मालिकाना हक़

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना उन ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों के बारे में है, जहां पहले से निवेश हो रहा है, जहां संपत्तियां पूरी तरह या तो ख़राब हो गई हैं या उनका पूरी तरह मुद्रीकरण (मोनेटाइजे़शन) नहीं हुआ है या फिर उनका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। 

सरकार ने कहा है कि ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों का मुद्रीकरण इनमें निजी भागीदारी के जरिये किया जाएगा। निजी भागीदारी के तहत जो कंपनियां शामिल होंगी उन्हें एक निश्चित वक़्त के बाद इन्हें सरकार को सौंपना होगा। मुद्रीकरण से जो पैसा सरकार को मिलेगा, उसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में काम लाया जाएगा।

ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट या संपत्तियां उन्हें कहते हैं जो या तो पहले से चल रहे हों या जिनपर कुछ काम हो चुका हो और जिनके विस्तार की ज़रूरत हो या फिर जिन्हें खरीदकर कोई नया काम शुरू किया जाए।

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नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के जरिये मोदी सरकार अगले चार साल में रेल, रोड, पावर सेक्टर के अलावा कुछ प्रोजेक्ट्स का मुद्रीकरण करेगी। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि रोड से सरकार 1.6 लाख करोड़ रुपये, रेलवे से 1.5 लाख करोड़ रुपये और पावर सेक्टर से 79 हज़ार करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी। 

इसके अलावा एयरपोर्ट्स से 20,800 करोड़, बंदरगाहों से 13 हज़ार करोड़, टेलीकॉम से 35 हज़ार करोड़ रुपये, स्टेडियम से 11,500 करोड़ और पावर ट्रांसमिशन सेक्टर की 45,200 करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी। मुद्रीकरण इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट मॉडल के जरिये या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये किया जाएगा। 

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क़मर वहीद नक़वी

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