loader

अब मैथिलीशरण गुप्त को लेकर ग़लत बोल गये प्रधानमंत्री मोदी

होशंगाबाद के इटारसी में बुधवार को जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मैथिलीशरण गुप्त के जन्म स्थान को लेकर एक ग़लती कर दी। मोदी ने कहा, ‘इसी धरती पर पैदा हुए मैथिलीशरण गुप्त ने कहा था- नर हो न निराश करो मन को, जग में रह कर कुछ नाम करो। हमारी सरकार इसी रास्ते पर चलती है, कांग्रेस नामदारों की नई पीढ़ी को मज़बूत करने के लिए काम कर रही है। हम देश को मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं।’

इस ग़लती पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तंज कसा। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट किया, ‘आज आपने एमपी के होशंगाबाद के इटारसी में अपनी सभा में राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त का ज़िक्र करते हुए, उन्हें होशंगाबाद का बता दिया। जबकि उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को यूपी के चिरगाँव में हुआ था, होशंगाबाद के तो पंडित माखन लाल चतुर्वेदी थे। सोचा आपकी जानकारी दुरुस्त कर दूँ।’

ताज़ा ख़बरें

तक्षशिला बिहार में है...?

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह कोई पहली ग़लती नहीं की है। 23 अक्टूबर 2013 को जब नरेंद्र मोदी ने पटना में एक रैली को संबोधित किया था तब उन्होंने कहा था, 'नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थान बिहार के गौरव रहे हैं।' जबकि तथ्य यह है कि तक्षशिला भारत में ही नहीं है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है।

2013 में पटना के इसी भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘जब हम गुप्त साम्राज्य की बात करते हैं तो हमें चंद्रगुप्त की राजनीति की याद आती है।’ लेकिन तथ्य यह है कि चंद्रगुप्त मौर्य वंश के संस्थापक थे, न कि गुप्त वंश के थे।

बिहार में हारा था सिकंदर...?

पटना की इसी रैली में मोदी ने कहा था, ‘बिहार इतना गौरवशाली है कि उसने सिकंदर महान की सेना को भी हरा दिया था। सिकंदर ने पूरी दुनिया जीत ली थी। लेकिन जब वह बिहार पहुँचा और बिहारियों से पंगा लिया तो उसका क्या हश्र हुआ। वह यहाँ आकर हार गया।’

लेकिन सच्चाई यह है कि सिकंदर 326 ई.पू. में पुरु के राज्य की तरफ़ जा रहा था। वह व्यास नदी तक पहुँचा था और उसके बाद वह वापस लौट गया। सिकंदर कभी बिहार नहीं गया और पंजाब से ही उसे वापस लौटना पड़ा।

'जेल में भगत सिंह से कोई नहीं मिला था'

विधानसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के बिदर में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘जब शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, वीर सावरकर देश की आजादी के लिए जेल में थे। तब क्या कोई कांग्रेस नेता उनसे मिलने गया था? लेकिन कांग्रेस नेता जेल में बंद भ्रष्ट लोगों से मिलते हैं।’ जबकि इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि ख़ुद जवाहरलाल नेहरू भगत सिंह से जेल में मिलने पहुँचे थे।

राजनीति से और ख़बरें

मोदी ने कई बार ग़लतियाँ कीं

मोदी ने 2013 में एक बार कह दिया था, ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी गुजरात के थे। 1930 में उनकी मौत हो गई थी।’ जबकि हक़ीकत यह है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनकी मौत 1953 में हुई थी। एक अन्य मौक़े पर उन्होंने कहा था, ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, स्वामी विवेकानंद और स्वामी दयानंद सरस्वती के संपर्क में रहते थे।’ जबकि, रिकॉर्ड में यह दर्ज है कि जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक साल के थे तो स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्म से काफ़ी पहले दयानंद सरस्वती का निधन हो चुका था।

मोदी ने एक बार कह दिया था, ‘मुझे 600 करोड़ भारतीय मतदाताओं ने प्रधानमंत्री चुना है।’ बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या सवा सौ करोड़ ही है। उत्तर प्रदेश में एक बार मोदी ने कहा था, ‘संत कबीर, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानकदेव एक साथ यहीं मगहर में बैठकर आध्यात्मिक चिंतन करते थे।’ जबकि ये तीनों संत अलग-अलग समय में रहे थे।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें