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आज़ाद की जगह खड़गे होंगे राज्यसभा में विपक्ष के नेता 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता होंगे। वह ग़ुलाम नबी आज़ाद की जगह लेंगे। राज्यसभा से आज़ाद की बिदाई के बाद वह पद खाली होगा। उनका कार्यकाल 15 फ़रवरी को ख़त्म होगा। इसको लेकर कांग्रेस ने राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नाडयू को पत्र लिखा है कि सदन में विपक्ष के नेता की खाली होने वाली जगह पर खड़गे को नियुक्त किया जाए।

ग़ुलाम नबी आज़ाद की बिदाई के बाद इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी जगह कौन लेगा। इसको लेकर आनंद शर्मा, पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह का नाम भी लिया जा रहा था। आनंद शर्मा तो राज्यसभा में पार्टी के उप नेता भी हैं। लेकिन इन कयासों पर अब विराम लग गया है। 

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खड़गे को कर्नाटक के एक दलित नेता के तौर पर जाना जाता है। वह 2014 से 2019 तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता थे। कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद पिछले और वर्तमान लोकसभा में नहीं मिल सका क्योंकि इसकी संख्या इस पद के लिए दावेदारी किए जाने से कम थी। विपक्ष के नेता के पद के लिए सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के पास सदन की कुल सीटों का 10 प्रतिशत सीटें होना अनिवार्य है।

बता दें कि ग़ुलाम नबी आज़ाद राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के सदस्य के तौर पर प्रतिनिधित्व करते रहे। धारा 370 में फेरबदल करने के बाद जम्मू-कश्मीर अब राज्य नहीं रहा और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। 

कांग्रेस सदस्य ग़ुलाम नबी आज़ाद ने मंगलवार को राज्यसभा से बिदाई के वक़्त काफ़ी भावुक होकर कहा था कि वे उन सौभाग्यशाली लोगों में से हैं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गए और उन्हें हिन्दुस्तानी मुसलमान होने पर गौरव है। 

उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने उन्हें मौक़ा दिया और उन्हीं की वजह से वे सफल हो सके। आज़ाद ने कहा कि इसी तरह उन्हें राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी में काम करने का मौक़ा मिला।

ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पार्टी लाइन से हट कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ़ की और कहा कि उन्होंने उनसे ही सीखा कि किस तरह राजनीतिक समस्याओं का निपटारा किया जा सकता है, सत्तारू़ढ़ दल और विपक्ष दोनों को कुछ-कुछ देकर उन्हें खुश रखा जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी के नेतृत्व में संसद को संभालना बहुत ही आसान काम था।

ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बीजेपी का नाम लिए बग़ैर सांप्रदायकिता की राजनीति करने वालों पर तंज किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सांप्रदायिक आधार पर किसी पार्टी या राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ काम करने में शर्म आएगी।

mallikarjun kharge to be leader of opposition in rajya sabha after ghulam nabi azad term  - Satya Hindi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद को विदाई देते हुए बहुत भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद उनके निजी मित्र हैं और उन्हें हमेशा याद आते रहेंगे। 

मोदी ने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में कुछ गुजराती फंस गए तो आज़ाद ने जिस तरह उनकी मदद की, वह कभी भूल नहीं सकते। प्रधानमंत्री ने कहा, "ग़ुलाम नबी आज़ाद इतने चिंतित थे, मानो वे लोग उनके अपने रिश्तेदार हों।"

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बता दें कि ग़ुलाम नबी आज़ाद को इस बार पार्टी ने कहीं से राज्यसभा का टिकट नहीं दिया। हालांकि उसके पास बहुत  ही कम विकल्प पहले से ही थे, लेकिन आज़ाद की वरिष्ठता और राज्यसभा में उनके कामकाज को देखते हुए लोगों को लगता था कि कांग्रेस किसी तरह उन्हें एक बार फिर राज्यसभा ले आएगी। पर ऐसा न हो सका। 

अगस्त महीने में जिन 23 लोगों ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, उनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद भी थे। बाद में पार्टी के कई लोगों ने उन पर हमला किया था और बीजेपी के साथ मिल कर साजिश रचने का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में सोनिया गांधी ने आज़ाद और दूसरे नेताओं को कार्यकारिणी समिति की बैठक में बुलाया था। संसद में बहस हुई तो राज्यसभा में इसकी शुरुआत आज़ाद ने ही की थी। 

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क़मर वहीद नक़वी

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