पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे को लेकर सियासी गलियारों में खासी चर्चा है। ममता 26 जुलाई को दिल्ली आएंगी और यहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही विपक्षी नेताओं से भी मुलाक़ात करेंगी। 21 जुलाई को शहीद दिवस के आयोजन के दिन बंगाल के बाहर भी जिस तरह ममता का भाषण दिखाया और सुनाया गया, उससे साफ है कि वह बंगाल से बाहर भी सियासी उड़ान भरने के लिए बेताब हैं।
इसके साथ ही वह बीजेपी के ख़िलाफ़ एक मज़बूत फ्रंट बनाने की दिशा में भी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती हैं।
बर्बाद करने के लिए वक़्त नहीं
ममता ने शहीद दिवस वाले दिन अपने भाषण में कहा था, “हमारे पास बर्बाद करने के लिए वक़्त नहीं है। कम से कम हम लोग साथ बैठ सकते हैं और 27, 28 या 29 जुलाई को विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई जानी चाहिए। हमारे पास ढाई से तीन साल का वक़्त है लेकिन हमें मिलकर लड़ना होगा और अपने लोकतंत्र को बचाना होगा।”
उन्होंने 2024 के चुनाव में बीजेपी को हराने की अपील भी सभी विपक्षी दलों से की थी।
कोताही नहीं चाहतीं दीदी
ममता के इस भाषण से साफ़ था कि वह 2024 के चुनाव के लिए किसी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहतीं। दीदी के नाम से चर्चित ममता ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी विरोधी दलों का एक फ्रंट तैयार करने की कोशिश की थी लेकिन तब ये कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं।
ममता इन दिनों पेगासस जासूसी मामले, किसानों के आंदोलन को लेकर कांग्रेस के साथ सियासी क़दमताल करती दिख रही हैं। क्योंकि वह भी जानती हैं कि कांग्रेस के बिना एक मज़बूत एंटी बीजेपी फ्रंट नहीं बन सकता।
विपक्षी नेता रहे थे मौजूद
एक खास बात यह थी कि ममता के भाषण के दौरान विपक्ष के बड़े नेता जैसे शरद पवार और सुप्रिया सुले (एनसीपी), पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), राम गोपाल यादव और जया बच्चन (एसपी), मनोज झा (आरजेडी), तिरुचि शिवा (डीएमके), संजय सिंह (आप) और के केशव राव (टीआरएस), नई दिल्ली में स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मौजूद थे।
विशालकाय स्क्रीनों के जरिये ममता के भाषण का प्रसारण गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, त्रिपुरा और दिल्ली में किया गया था।
ममता का सभी विपक्षी और विशेषकर क्षेत्रीय दलों के लिए पैगाम साफ़ था कि वे अपने मतभेदों को किनारे करें और 2024 के चुनाव की तैयारी में जुटें।
ममता ने कहा था, “एक डॉक्टर मरीज की मौत के बाद कुछ नहीं कर सकता और मरीज को तभी बचाया जा सकता है जब उसे वक़्त पर इलाज दिया जाए। आप जितना वक़्त बर्बाद करेंगे हालात उतने ही ख़राब होते जाएंगे।” इस बयान से उनकी एंटी बीजेपी फ्रंट के लिए गंभीरता को समझा जा सकता है।
‘खेला होगा’
ममता ने भाषण में कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सारे राज्यों में खेला होगा और हम जीतेंगे। बंगाल के चुनाव में ममता का खेला होबे का नारा चर्चित रहा था। ममता का दिल्ली दौरा तीन से चार दिन का होगा। इस दौरान वह सोनिया गांधी के अलावा शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल सहित कुछ और नेताओं के साथ मुलाक़ात कर सकती हैं।
संसदीय सीटों पर बीजेपी को रोकेंगी
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम के साथ अपने करार को 2026 तक बढ़ाने के पीछे मतलब साफ है कि दीदी 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी को उसका पुराना प्रदर्शन नहीं दोहराने देना चाहतीं। 2014 में बंगाल में दो सीट जीतने वाली बीजेपी को 2019 में 18 सीटों पर जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी को रोक ही चुकी हैं।
करार बढ़ाने के बाद प्रशांत किशोर की शरद पवार के साथ ही गांधी परिवार के साथ भी मुलाक़ात हुई थी। जिसे सियासी गलियारों में बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है।
2022 है अहम
लेकिन 2024 में बीजेपी को चुनौती देने लायक स्थिति में पहुंचने से पहले विपक्षी दलों को 2022 में अपने आप को साबित करना होगा। 2022 में सात राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं जिनमें 5 राज्यों के चुनाव तो फरवरी-मार्च में ही हैं। इन राज्यों में ख़राब प्रदर्शन की सूरत में थर्ड फ्रंट या एंटी बीजेपी फ्रंट बीजेपी के सामने टिक नहीं पाएगा।
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