उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के सामने आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी संगठन और केंद्र सरकार ने सियासी कसरत शुरू कर दी है। शुक्रवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच 5 घंटे तक बैठक चली। यह बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर हुई और इतनी लंबी बैठक होने के पीछे केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार को अहम वज़ह माना जा रहा है।
इसके अलावा भी प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिनों कई केंद्रीय मंत्रियों से अलग-अलग मुलाक़ात की है और उनके विभागों की समीक्षा की गई है। माना जा रहा है कि इसी महीने केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार हो सकता है।
पहले विस्तार का इंतजार
मई, 2019 में दूसरी बार सरकार बनने के बाद से दो साल का वक़्त गुजर चुका है और अब तक केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए इसकी ज़रूरत समझी जा रही है और मोदी सरकार और संगठन इस काम में जुटे हुए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तीन बार कैबिनेट का विस्तार किया गया था।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बीजेपी के दो बड़े सहयोगी छिटक कर जा चुके हैं। ये सहयोगी शिव सेना और शिरोमणि अकाली दल हैं। इनके मंत्रियों के इस्तीफ़े के अलावा भी दो दर्जन से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं और कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के पास ज़्यादा विभाग हैं।
जगन की ओर से ना!
मोदी सरकार नए सहयोगियों की तलाश में आंध्र में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस पर डोरे डाल चुकी है लेकिन शायद पार्टी के मुखिया जगन मोहन रेड्डी अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं। इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के दो सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के अपना दल (एस) को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने दो दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की थी।
यूपी को लेकर संघ गंभीर
हाल ही में पश्चिम बंगाल में मिली जबरदस्त हार के बाद बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस ने उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर बेहद गंभीरता से तैयारियां शुरू कर दी हैं। संघ के आला पदाधिकारियों ने लखनऊ का दौरा किया है और दिल्ली में संघ की तीन दिन तक चली बैठक में भी उत्तर प्रदेश का चुनाव छाया रहा।
यूपी को मिलेगी तरजीह
2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी और संघ जानते हैं कि इन राज्यों में फ़तेह हासिल करने के बाद ही 2024 का रास्ता आसान होगा।
इनमें भी उत्तर प्रदेश काफी अहम है। ऐसे में उत्तर प्रदेश को कैबिनेट विस्तार में तरजीह दी जा सकती है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जहां किसान आंदोलन के कारण बीजेपी मुश्किलों का सामना कर रही है, वहां के कुछ चेहरों को कैबिनेट विस्तार में जगह मिल सकती है। पार्टी आलाकमान सहित मोदी और शाह योगी आदित्यनाथ के साथ भी बैठक कर काफी मंथन कर चुके हैं।
ये चेहरे हो सकते हैं शामिल
जिन चेहरों के कैबिनेट में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के अलावा एलजेपी सांसद चिराग पासवान को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। बंगाल से भी कुछ बीजेपी नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
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