लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ख़िलाफ़ सीबीआई छापे पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ा है।
इंडिया टुडे-कार्वी इनसाइट्स के चुनाव पूर्व सर्वे के मुताबिक़, अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए को बहुमत नहीं मिलेगा, यानी वह सरकार मे नहीं लौटेगी।
प्रियंका के राजनीति में आने से कांग्रेस के भीतर एक नई झँकार सुनाई देने लगी है। लेकिन प्रियंका की राजनीतिक सूझ-बूझ और नेतृत्व क्षमता की परख आम चुनावों में होगी।
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस ने प्रियंका गाँधी को पार्टी का महासचिव बना दिया है। इस तरह नेहरू-गाँधी परिवार के एक और सदस्य की कांग्रेस में एंट्री हो गई है।
चुनाव से ठीक पहले राहुल गाँधी ने प्रियंका गाँधी को महासचिव बनाकर 'मास्टर स्ट्रोक' खेला है। अगले कुछ दिनों में दूसरे दलों के नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की उम्मीद है।
प्रियंका गाँधी को कांग्रेस महासचिव बनाए जाने की ख़बरों के बीच राहुल गाँधी पूरे आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उन्होंने कहा, बैकफ़ुट पर नहीं, फ्रंटफ़ुट पर खेलेंगे।
प्रियंका गाँधी के कांग्रेस महासचिव चुने जाने पर बीजेपी ने राहुल को निशाने पर लिया है। इसने कहा कि कांग्रेस ने राहुल गांधी की नाकामी को मान लिया है और इस कारण ही प्रियंका गांधी को लाया गया है।
जद(यू) ने कहा है कि वह राज्यसभा में नागरिकता विधेयक का विरोध करेगी। इसके बाद से ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी और जद (यू) के रिश्तों में खटास आ चुकी है?
2014 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 43 प्रतिशत वोट के साथ 73 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा-बसपा के गठबंधन के बाद ऐसा नहीं लगता कि 2019 में बीजेपी की राह आसान होगी।
कोलकाता में हुई ममता बनर्जी की विशाल जनसभा 1977 की याद ताज़ा कर रही है। उस समय रामलीला मैदान में इंदिरा गाँधी के विरुद्ध इतनी ही जबर्दस्त जनसभा हुई थी। क्या दोनों रैलियों में कोई समानता है?