जिस तरह तेवर दिखाने के बाद केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की माँग को बीजेपी आलाकमान ने मान लिया, ठीक उसी तरह अपना दल (एस) भी अपनी कुछ माँगें पूरी करवाना चाहता है।
नितिन गडकरी के हालिया बयानों के बाद से ही कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। गडकरी पर गुस्सा होने के बजाय ज़रूरी है कि उनकी खरी-खरी बातों से सबक़ सीखा जाए।
तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में जुटे हैं। तीसरा मोर्चा बनाने के पीछे आख़िर क्या है केसीआर की मंशा?
सुब्रमण्यण स्वामी का अब तक का इतिहास कहता है कि वे ‘लाभ के लोभ’ में ही किसी के दोस्त बनते हैं। और अगर उन्हें लगे कि कि कोई उनका काम बिगाड़ रहा है तो वे उसके पीछे पड़ जाते हैं।
मिडिल क्लास पर जब पीएम मोदी बीजेपी के एक कार्यकर्ता के सवाल का जवाब टाल गए, तो राहुल गाँधी ने खिल्ली उड़ाई कि वह अपने ही कार्यकर्ता के सवाल का सामना नहीं कर पा रहे हैं।
2019 के चुनावों का विमर्श किसान-नौजवान के वोट की दृष्टि से होगा क्योंकि यही वर्ग वर्तमान में किसी ख़ेमे का स्थापित वोट बैंक नहीं है। लेकिन बीजेपी लामबंदी करेगी धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर एवं विपक्ष करेगा जातीय आधार पर, क्यों?
नितिन गडकरी ने कहा है कि सांसदों और विधायकों के ख़राब प्रदर्शन के लिए पार्टी चीफ़ ज़िम्मेदार होता है। अब इसका क्या अर्थ है? क्या उनका साफ़ इशारा नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तरफ़ नहीं है?
पिछले कुछ सालों में कई बार ऐसी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी पीएम नरेंद्र मोदी के सामने याचक की मुद्रा में खड़े दिखाई दिए हैं।
बीजेपी के एक बड़े नेता हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को बहुत बुरा-भला कहा था। लेकिन आज वे पार्टी के सम्मानित सांसद हैं। जानिए, कौन हैं वे।
पाँच विधानसभा चुनावों के नतीजों से उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को उम्मीद बँधी है कि अगले आम चुनावों में बीजेपी वहाँ हारेगी। उनका मानना है कि समाज के कई वर्ग सत्तारूढ़ दल से ख़फ़ा हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भले ही गठबंधन के कयास लग रहे हों लेकिन कांग्रेस गठबंधन करना नहीं चाहती है। तो क्या कांग्रेस इतनी मज़बूत हो गई है या आप कमज़ोर?
राजनीति, मीडिया या अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को अकसर किनारे लगा दिया जाता है। पुरुष नहीं चाहते कि महिलाएँ उनसे आगे निकलें क्योंकि इससे पुरुषवादी वर्चस्व का अंत हो जाएगा।