सीबीआई के अंदरूनी कलह ने इसकी कलई खोल दी है। इसके कामकाज पर तो सवाल उठे ही हैं, केंद्र सरकार और सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेंसी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
रेप के लिए लड़कियों को ही ‘जिम्मेदार’ ठहराने वाले मनोहर लाल खट्टर के बयान पर बवाल मचा है। विवादित बयान देने वाले वे पहले नुमाइंदे नहीं हैं। यह फेहरिस्त लंबी है।
मोदी ने बीफ़ पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस से सवाल कर उसे कटघरे में खड़ा करने की कोेशिश की, पर इस पर ख़ुद उनकी पार्टी का गोवा और पूर्वोत्तर में क्या स्टैंड है?
विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान मोदी ने कांग्रेस से जवाब माँगा है। पहले उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए कि उनकी पार्टी ने कितने दलितों को अध्यक्ष बनाया है।
रेप वाले बयान पर मनोहरलाल खट्टर ने सफ़ाई दी है। उन्होंने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। तो क्या सच में उनकी बात का बतंगड़ बना दिया गया है?
कोलकाता पुलिस के प्रमुख से पूछताछ करने वहाँ पहुँची सीबीआई टीम के कुछ लोगों को हिरास में लेने से एक नई बहस छिड़ गई है। क्या राज्य सरकार को ऐसा करने का हक़ है?
फ़र्ज़ी सर्टिफिकेट्स से एडमिशन लेने के मामले में चुनाव के बाद से ही अंकिव बैसोया शक के घेरे में थे। अब सवाल यह है कि एबीवीपी ने दो महीने बाद कार्रवाई क्यों की।
नई पार्टी के ऐलान के बाद सवाल यह है कि क्या राजा भैया सवर्ण मतदाताओं के वोट हासिल करने में कामयाब रहेंगे। अगर ऐसा हुआ तो वह अन्य दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
अजय सिंह चौटाला के इनेलो से निकाले जाने के बाद अब पार्टी टूट के कगार पर पहुँच गई है। बँटी हुई पार्टी अगले विधानसभा चुनावों में पहले से भी ख़राब प्रदर्शन कर सकती है।
मुसीबतों से पार पाना वसुन्धरा के लिए आसान नहीं होगा। केन्द्रीय नेतृत्व के साथ भी उनके रिश्ते बेहतर नहीं हैं, ऐसे में उनके लिए पार्टी को जिताना बड़ी चुनौती है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को अब संसद से भी झटका लगा है। संसद ने प्रधानमन्त्री महिन्दा राजपक्षे की सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पास कर दिया है।
बीजेपी और मोदी एक ऐसा भ्रम फैलाना चाहते हैं जिससे लगे कि कांग्रेस ने सरदार पटेल की उपेक्षा की और उनके विचार आरएसएस से मिलते थे। पर इतिहास इसकी गवाही नहीं देता।