बसवराज बोम्मई
भाजपा - शिगगांव
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जीडीपी में गिरावट, बढ़ती बेरोज़गारी, बेलगाम कोरोना संक्रमण और चीनी अतिक्रमण जैसे मुद्दों को लेकर राहुल गाँधी ने मोदी पर हमला किया है। उन्होंने कहा है कि देश प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खड़े किए गए संकटों का सामना कर रहा है। राहुल हाल के दिनों में जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट को लेकर लगातार प्रधानमंत्री पर हमलावर रहे हैं। इससे पहले वह भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ को लेकर भी इतने ही हमलावर रहे हैं। बेरोज़गारी और बेकाबू होते कोरोना संकट के मुद्दे से भी वह सरकार को घेरते रहे हैं।
सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर राहुल गाँधी का यह तीखा हमला जीडीपी के आँकड़े आने के दो दिन के बाद आया है। उन्होंने इसके लिए ट्विटर का सहारा लिया और ट्वीट किया, ' देश प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खड़े किए गए संकटों का सामना कर रहा है:
1. जीडीपी में ऐतिहासिक गिरावट -23.9%
2. 45 साल में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी
3. 12 करोड़ नौकरियाँ गईं
4. केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहा
5. वैश्विक स्तर पर हर रोज़ सबसे ज़्यादा मामले और मौत
6. सीमा पर विदेशी अतिक्रमण'
India is reeling under Modi-made disasters:
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 2, 2020
1. Historic GDP reduction -23.9%
2. Highest Unemployment in 45 yrs
3. 12 Crs job loss
4. Centre not paying States their GST dues
5. Globally highest COVID-19 daily cases and deaths
6. External aggression at our borders
बता दें कि चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर शून्य से 23.9 प्रतिशत नीचे रही है। यह 40 साल का न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर है। नैशनल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (एनएसओ) ने इस साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर का यह आँकड़ा जारी किया है।
हालाँकि, कोरोना के पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्त हो चुकी थी। अर्थव्यवस्था के तमाम इंडीकेटर यह साफ़ बता रहे थे कि अर्थव्यवस्था बुरी हाल में है। उसके बाद लॉकडाउन ने बचीखुची कसर भी पूरी कर दी है।
राहुल गाँधी ने कहा है कि 45 साल में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी है। यह रिपोर्ट तो क़रीब दो साल पहले ही आ गई थी। अब कोरोना लॉकडाउन के दौर में तो यह अपने चरम पर पहुँच गया होगा। क्योंकि हाल के दिनों में करोड़ों लोगों की नौकरियाँ गई हैं। यही कारण है कि एक सरकारी पोर्टल शुरू होने के सिर्फ़ 40 दिन में ही 69 लाख लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन दिया। इस पोर्टल का नाम ASEEM है और इसे कौशल विकास मंत्रालय और उद्यमिता मंत्रालय ने शुरू किया है। हालाँकि, लोगों को नौकरियाँ कुछ ही लोगों को मिल पाई हैं।
राहुल गाँधी ने कहा है कि 12 करोड़ लोगों की नौकरियाँ गई हैं। उन्होंने जिस आँकड़े की बात की है वह सिर्फ़ असंगठित क्षेत्र में अप्रैल महीने की है। रिपोर्ट के अनुसार असंगठित क्षेत्र में अप्रैल महीने में ही 12 करोड़ नौकरियाँ चली गई थीं। इनमें छोटे-मोटे काम धंधा करने वाले लोग और इस तरह के धंधों से जुड़ी दुकानों या कंपनियों में काम करने वाले लोग ज़्यादा हैं। सीएमआईई ने अनुमान लगाया था कि इसमें से कम से कम 75 प्रतिशत तो दिहाड़ी मज़दूर ही थे।
इसके बाद हाल ही में वेतनभोगी लोगों की नौकरियाँ जाने की बात भी सामने आई है। सीएमआईई ने क़रीब एक पखवाड़ा पहले ही रिपोर्ट में कहा था कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक 1 करोड़ 89 लाख वेतन भोगी लोगों की नौकरियाँ चली गई हैं।
राहुल गाँधी ने जीएसटी बकाए का मुद्दा भी उठाया है। बता दें कि केंद्र के पास राज्यों का 2.35 लाख करोड़ रुपए बकाया है जो उसे राज्यों को जीएसटी नुक़सान की भरपाई के रूप में देना है। जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र ने राज्यों के साफ कहा था कि उसके पास पैसे नहीं हैं और राज्य चाहें तो बाज़ार से क़र्ज़ ले लें। इसके साथ ही केंद्र ने दो उपाय भी सुझाए थे। लेकिन इन चार राज्यों ने दोनों उपायों को खारिज करते हुए केंद्र को ही सुझाव दे दिया कि वह बाज़ार से क़र्ज़ ले ले।
अब तो गैर-बीजेपी शासित 4 राज्यों ने बगाव़त करते हुए केंद्र सरकार से साफ़ शब्दों में कहा है कि उसके पास पैसे नहीं है तो वह बाज़ार से क़र्ज़ लेकर उन्हें पैसे दे, पर उन्हें हर हाल में पैसे चाहिए।
देश में कोरोना संकट काफ़ी भयावह हो चुका है। हर रोज़ पॉजिटिव केस आने और मौत के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। कुल संक्रमण के मामले में तीसरे स्थान पर है और जल्द ही दूसरे स्थान पर पहुँच जाने की आशंका है। देश में 24 घंटे में 78 हज़ार 357 पॉजिटिव केस आए हैं और 1045 मरीज़ों की मौत हुई। अब तक 37 लाख 69 हज़ार 524 पॉजिटिव केस आए, 66 हज़ार 333 मौतें हुईं।
राहुल गाँधी ने विदेशी अतिक्रमण का ज़िक्र कर चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाया है। बता दें कि एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गत 5 मई के बाद से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार चीनी सेना क़रीब एक हज़ार वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाक़े पर कब्जा कर बैठी है। इसके साथ ही वह दूसरे क्षेत्रों में भी घुसपैठ की कोशिश कर रही है।
लेकिन भारतीय ज़मीन पर चीनी घुसपैठ को लेकर सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर ख़ूब विवाद हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'न तो वहाँ कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है और न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है।'
हालाँकि हाल में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह ज़रूर कहा है कि स्थिति 1962 के बाद सबसे ज़्यादा ख़राब है।
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