loader

चर्चा से डरती है सरकार, क़ानून वापस होना किसानों-मज़दूरों की सफलता: राहुल

मोदी सरकार ने भले ही कृषि क़ानूनों को वापस ले लिया हो लेकिन उसकी मुश्किलें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं। किसान और विपक्ष उस पर लगातार हमलावर हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस कृषि क़ानूनों के रद्द होने से पहले संसद में चर्चा करना चाहती थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया और इससे पता चलता है कि सरकार चर्चा से डरती है और सरकार जानती थी कि उसने ग़लत काम किया है। 

दूसरी ओर किसानों ने कहा है कि वे एमएसपी सहित बाकी मांगों के पूरा होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। 

किसानों की अन्य मांगों में बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुक़दमों को वापस लेना, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी सहित कुछ और मांगें शामिल हैं। 

ताज़ा ख़बरें

संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने कहा था कि सरकार को ये कृषि क़ानून वापस लेने पड़ेंगे और ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा कि ये किसानों और मज़दूरों की सफलता है। 

Rahul Gandhi On Farm Laws Repealed - Satya Hindi
संसद परिसर में किया कांग्रेस ने प्रदर्शन।
केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा कि वे चाहते थे कि किसान आंदोलन में मारे गए किसानों को लेकर चर्चा हो, इन कृषि क़ानूनों के पीछे कौन सी ताक़त थी इस पर चर्चा हो, एमएसपी पर चर्चा हो, लखीमपुर खीरी के मामले में और किसानों की समस्याओं पर चर्चा हो लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार यह सोचती है कि ग़रीबों की आवाज़ को दबाया जा सकता है कि लेकिन कृषि क़ानून वापस होने से साफ हो गया है कि ग़रीब और कमज़ोर लोगों की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।

सभी राजनीतिक दलों विशेषकर कांग्रेस ने किसानों की आवाज़ को पूरे साल भर पुरजोर तरीक़े से उठाया। राहुल गांधी ने कई बार कहा था कि ये तीनों कृषि क़ानून दो-तीन उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए लाए गए हैं और सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही पड़ेंगे। राहुल ट्रैक्टर चलाकर संसद भी पहुंचे थे। 

राजनीति से और ख़बरें

किसान आंदोलन के कारण बीजेपी के नेताओं को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पंजाब में तो बीजेपी के नेताओं का छोटे-छोटे कार्यक्रम तक करना मुश्किल हो गया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी कई जगहों पर बीजेपी नेताओं का गांवों में घुसना मुश्किल हो गया था।

बीजेपी नेतृत्व और मोदी सरकार के पास किसान आंदोलन के बारे में बहुत साफ फ़ीडबैक था कि यह पांच राज्यों के चुनाव में भारी पड़ सकता है। ऐसे में मोदी सरकार को किसानों और विपक्ष के राजनीतिक दबाव के आगे झुकते हुए उनकी मांगों को मानना ही पड़ा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें